26 मार्च को पूरे भारत में होने जा रहा ये, दूध व सब्जियों की सप्लाई रहेगी ठप्प

यह बात और है कि किसान आंदोलन अब पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका है। पहले किसानों ने कहा था कि उनके मंच पर कोई राजनेता नजर नहीं आएगा, लेकिन अब राजनेताओं के अलावा कोई नजर नहीं आता।

राकेश सिंह टिकैत जगह-जगह पंचायतें कर रहे हैं और मकसद सिर्फ भाजपा के खिलाफ माहौल बनाना है। पश्चिम बंगाल में भी वे लोगों से भाजपा को वोट नहीं देने की अपील कर रहे हैं।

इसके बाद 28 मार्च को भी होली के मौके पर किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा। इस दिन किसान कृषि कानून के बिल की कॉपियां जलाकर होलिका दहन का आयोजन करेंगे।

किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करें और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए लिखित गारंटी दे। बता दें, यह आंदोलन 100 से अधिक दिनों से जारी है।

सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। सरकार कानून में जरूरी बदलाव करने को जारी है, लेकिन किसान वापसी पर अड़े हैं।

कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्सन कर रहे किसान संगठनों ने आगामी 26 मार्च यानी शुक्रवार को भारत बंद का आह्वान किया है। माना जा रहा है कि इस दिन पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान समेत कुछ राज्यों में दूध तथा सब्जियों की सप्लाई पर असर पड़ सकता है।

लोगों से अपील की जा रही है कि वे एक दिन पहले ही जरूरी चीजों का बंदोबस्त कर लें। संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद के दौरान दूध तथा सब्जियों की सप्लाई भी बंद रखने का ऐलान किया है।

संयुक्त किसान मोर्च का महासचिव दवेंदर सिंह के मुताबिक, एंबुलेंस को नहीं रोका जाएगा। पंजाब में इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है। यहां किसानों ने ट्रेन रोकने का ऐलान भी किया है।

किसान संगठन ने लोगों से अपील की है कि वह केंद्र सरकार के काले कानूनों के खिलाफ शुक्रवार को 12 घंटे के लिए अपनी दुकान और ऑफिस बंद रखें। बंद सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक रहेगा।