सामने आई ये बड़ी खबर , भारत के आगे झुका चीन, अब कर रहा है ये काम

भारत के तल्ख तेवर को देखते हुए चीन को लगने लगा है कि अब मामला बढ़ गया है कि इसे स्थानीय स्तर पर सेनाओं द्वारा हल नहीं किया जा सकता है, लिहाजा राजनयिक पहल जरूरी है।

 

भारत के कड़े रूख के बाद चीन ने इस विवाद का सुलझाने की कूटनीति पहल की है। जानकारी के मुताबिक ‘एक सप्ताह के भीतर इस मामले को सुलझा लिया जाएगा।

कूटनीतिक बातचीत जारी है। भारतीय सेना ने अपने क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सेना तैनात कर दी है और चीन ने भी अपने क्षेत्र में तैनाती की है।’

आपको बता दें कि एलएसी पर चीन और भारत के बीच बढ़ते तनाव ने दोनों देशों को हजारों की संख्या में सैनिकों की तैनाती बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया है।

चीनी और भारतीय दोनों सेनाएं उन स्थानों पर हाई अलर्ट पर हैं, जहां तनाव और झड़पें हुई थीं। भारतीय सेना ने साफ शब्दों में कह दिया है कि वे अपने क्षेत्र में किसी भी प्रकार की चीनी घुसपैठ की अनुमति नहीं देंगे और उन क्षेत्रों में गश्त को और भी मजबूत करेंगे।

गौरतलब है कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) आए दिन भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर भारतीय सेना के साथ संघर्ष कर रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीन गर्मियों के दौरान हमला शुरू करता है और यह हर साल की घटना है। भारतीय सैनिकों ने चीन की सेना को पीछे धकेल दिया है।

चीनी सेना ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की गैलवान घाटी में टेंट भी लगाए हैं। चीन ने पैंगोंग त्सो (झील) में सशस्त्र कर्मियों के साथ नावें भी बढ़ाई हैं। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने एलएसी के पार हजारों लोगों को तैनात किया है और वे उन्हें टेंटों में डाल रहे हैं।

दुनिया को कोरोना संकट में उलझाकर चीन इन दिनों अपनी विस्तारवादी महत्वाकांक्षा को अंजाम देने के लिए चालबाजी में जुटा है।

चीन ने जहां दक्षिण चीन सागर में अपनी गतिविधियां तेज कर दी है वहीं अपनी सरहद से सटे इलाकों में सैन्य गतिविधियां भी बढ़ा दी है। चीन की इन हरकतों पर दुनिया की नजर है।

इसी कड़ी में चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भी सैन्य जमावड़ा बढ़ा दिया है। सूत्रों के मुताबिक लद्दाख के पैंगोंग सो झील और गलवां नदी घाटी समेत कुल तीन जगहों पर 300 सैनिकों की तैनाती के साथ चीन ने अपना दावा किया.

जिसके बाद भारत ने भी अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है। डोकलाम की तरह यहां भी भारत के सख्त रूख के बाद चीन तेवर पतले होते दिख रहे हैं।