कैब को लेकर विदेशों में भी बढ़ता जा रहा विरोध प्रदर्शन, सडको पर उतरी इस देश की जनता व खोले…

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध देश के साथ-साथ विदेशों में भी रफ्तार पकड़ रहा है। अमेरिका के कुछ विश्वविद्यालयों में शिक्षारत भारतीय छात्रों के रोष प्रदर्शन और विधेयक के विरोध में किए गए सम्मेलनों के बाद कनाडा से भी इस कानून की खिलाफत की खबरें आ रही हैं। कनाडा में भारतीय पंजाबी, खासतौर से सिख बड़ी तादाद में रहते हैं। कनाडा की सरकार में भी सिखों की बड़ी भागीदारी है। कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी, जिसके वहां 24 सांसद हैं, ने भारत की केंद्र सरकार की ओर से पारित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ वक्तव्य जारी करते हुए आंदोलन करने का निर्णय किया है।

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने अपने ताजा ट्वीट और बयान में कहा है कि भारत सरकार का नागरिकता संशोधन कानून जानबूझकर मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव की नीति के तहत वजूद में लाया गया है। जगमीत सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी इस कानून के खिलाफ है और इसकी सख्त आलोचना करती है। गौरतलब है कि 24 सांसदों वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी कनाडा में अच्छा जनाधार रखती है। पार्टी ने ऐलान किया है कि अब दूसरे दलों के साथ तालमेल करके नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ कनाडा के साथ-साथ दूसरे देशों में जाकर भी इसके खिलाफ मुहिम चलाई जाएगी।

यह पहली बार नहीं है कि विदेशी सरजमींं से इस कानून के खिलाफ पुरजोर आवाज उठी हो। जिन-जिन देशों में भी पंजाबी और भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय है, वहां-वहां इसके विरोध में रोज प्रदर्शन, रैलियां और समागम हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इटली के कई बड़े गुरुद्वारे और उनकी प्रबंधक कमेटियां इस विधेयक के विरोध में प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं या करने वाली हैं।

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद भी नागरिकता संशोधन विधेयक के विरुद्ध टिप्पणी कर चुका है। परिषद ने कहा था कि, “हमें चिंता है कि भारत का नया नागरिकता संशोधन कानून 2019, मूल रूप से पक्षपाती है। हमें उम्मीद है कि भारत की सुप्रीम कोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के मद्देनजर इस कानून पर पुनर्विचार करेगी।” साफ है कि केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ विदेशों में उठ रही विरोध की आवाजें भारत की धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक छवि पर सवालिया निशान लगा रही हैं।