पाटीदार आंदोलन में तेजाबी वक्ता रही हैं रेशमा, अब लड़ेंगी लोकसभा चुनाव

गुजरात में हार्दिक पटेल (hardik patel) के बाद उनकी सहयोगी रहीं रेशमा पटेल (reshma patel) ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया दिया है। रेशमा अभी भाजपा में है और वे इसी पार्टी की ओर से मैदान में उतरना चाहती हैं। मगर, वह पार्टी में रहते हुए भी पार्टी के खिलाफ ही बयान देती रही हैं। बता दें कि, भाजपा ने उन्हें पाटीदार आंदोलन खत्म करने के मकसद से अपने साथ लिया था। इससे पहले तक तो रेशमा भाजपा और नरेंद्र मोदीकर की जमकर आलोचना करती थीं।

रेशमा पाटीदार आरक्षण समिति के अगुवा हार्दिक पटेल की करीबी मानी जाती हैं। पाटीदार आंदोलन के वक्त इन दोनों ने एक साथ मिलकर राज्यभर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। रैलियों में इन्होंने नरेंद्र मोदी और गुजरात के मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रचार भी किया था। रेशमा के तेजाबी वक्ता होने के कारण सूबे में सत्ता की चूलें हिल उठी थींं। हालांकि, अंतिम चरण में रेशमा ने भाजपा का दामन थामकर चौंका दिया।

इन दो सीटों से लड़ सकती हैं चुनाव

बकौल रेशमा, वह आगामी चुनाव (general election 2019) में हिस्सा लेंगी। गुजरात के पोरबंदर या जूनागढ़ उनकी प्राथमिकता में हैं। यदि सत्तासीन पार्टी उन्हें दावेदार बनाती है तो वे इसी के जरिए फैसला लेने को तैयार हैं।”

भाजपा से टिकट नहीं मिला तो ये करेंगी

इसके अलावा रेशमा का यह भी कहना है कि अगर भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकती हैं। वैसे भी वह पार्टी के लिए चुनाव नहीं लड़ रहीं, बल्कि अपने पाटीदार समाज के लिए लड़ रही हैं।

हार्दिक पटेल इन दो सीटों से लड़ सकते हैं चुनाव

वहीं, पाटीदार आंदोलन के नेता व किसान क्रांति सेना के मुख्य संयोजक हार्दिक पटेल भी आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार हैं। वह गुजरात में अमरेली या मेहसाणा में से किसी एक सीट से मैदान में होंगे। उन्होंने हाल ही शादी के बाद खुद चुनावी रणनीति बनाने की घोषणा की थी।

”साढ़े 3 साल लड़ चुके हैं, सरकार से अब भी नहीं झुकेंगे”

बकौल हार्दिक, हम हर जिले में घूमेंगे। बैठक करेंगे और एक लाख से ज्यादा पाटीदार आंदोलनकारियों को इकट्ठा करके इस सरकार को ताकत दिखा देंगे। अब चाहिए ये कि पाटीदारों पर लगाये गये सभी मामले वापस लिए जाएं। झुकने का सवाल नहीं है, सरकार के सामने हमारी नई जंग शुरू होगी। हमारा उद्देश्य है, गरीब लोगों को न्याय और अधिकार दिलाना। साढ़े तीन साल गरीबों और पिछड़े पाटीदारों के लिए लड़ चुके हैं, कुछ मांगें माननी ही पड़ीं। अब देखा यह जाएगा कि रेशमा और हार्दिक पटेल साथ में चुनाव लड़ते हैं या फिर कांग्रेस-भाजपा का सहारा लेते हैं।