Inmates peek from their cell inside the Quezon City Jail in Manila in this picture taken on July 18, 2016. There are 3,800 inmates at the jail, which was built six decades ago to house 800, and they engage in a relentless contest for space. Men take turns to sleep on the cracked cement floor of an open-air basketball court, the steps of staircases, underneath beds and hammocks made out of old blankets. / AFP / NOEL CELIS / TO GO WITH AFP STORY: Philippines-politics-crime-jails, FOCUS by Ayee Macaraig (Photo credit should read NOEL CELIS/AFP/Getty Images)

कोरोना वायरस ने इस देश के जेल में बंद 85 हजार कैदियों को दिलाई आजादी, सरकार ने लिया ये फैसला

कोरोना वायरस की वजह से ईरान में अब तक 14,991 लोग बीमार हो चुके हैं. जबकि, 853 लोगों की मौत हो चुकी है. ईरान की जेलों में बड़ी संख्या में कैदी बंद थे. जहां कोरोना फैलता तो भारी मुसीबत आ जाती. इसलिए ईरान ने अपनी जेलों से आज यानी 17 मार्च 2020 की अल सुबह अपनी जेलों से हजारों कैदी रिहा कर दिए.

इसलिए ईरान की सरकार ने करीब एक हफ्ते पहले यह फैसला लिया था कि वह अपने जेलों से कैदियों को छोड़ेगा. आज यानी 17 मार्च 2020 को उसने अपने जेलों से 85 हजार कैदियों को रिहा किया है.

ईरान की सरकार ने अपने 85 हजार कैदियों को अस्थाई तौर पर रिहा किया है. ईरान की न्यायपालिका के प्रवक्ता घोलमहुसैन इस्माइली ने कहा कि जितने भी कैदी थे उनमें से 50 फीसदी सुरक्षा संबंधी मामलों के अपराधी हैं.

घोलमहुसैन इस्माइली ने कहा कि जेल में बंद और छोड़े जा रहे कैदियों के बीच झगड़े न हो इसके लिए भी हमने तैयारी कर रखी थी. छो़ड़े गए कैदियों में राजनीतिक कैदी भी बड़ी मात्रा में शामिल हैं.

10 मार्च को ईरान में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने ईरान सरकार से कहा था कि जेलों में बंद कैदियों को छोड़ दिया जाए. ताकि जेलों में बंद कैदियों में से किसी को कोरोना का संक्रमण न हो. क्योंकि वहां संक्रमण फैला तो आफत आ जाएगी.

आपको बता दें कि ईरान दुनिया का तीसरा देश है, जहां सबसे ज्यादा संक्रमित लोग और सबसे ज्यादा मौतें कोरोना वायरस की वजह से हुई हैं. इसके ऊपर इटली और उससे ऊपर चीन है.

ईरान के जिन जेलों में कैदियों की संख्या बहुत अधिक है और भरी हुई हैं, वहां कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए कैदियों को अस्थाई तौर पर यह कदम उठाया है. ‘सिक्योरिटी प्रिजनर्स’ यानी जिन कैदियों को पांच साल से ज्यादा सजा सुनाई गई है उन्हें रिहा नहीं किया गया है.