केंद्रीय गृहमंत्री के हस्तक्षेप से हो सकता है ये, अब तो किसानों के साथ…

किसानों के साथ होने वाली वार्ता के पहले के चिन्हित बिंदुओं पर सरकार की ओर से ठोस प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। हालांकि किसान संगठनों की ओर से आज शाम तक भी कोई सुझाव अथवा विवादित प्रावधानों की सूची नहीं सौंपी जा सकी है। इसे लेकर वार्ता में थोड़ी दिक्कत पैदा हो सकती है।

किसान नेताओं को गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बातचीत के लिए शाम को बुलावा भेजा गया। शाह के साथ होने वाली बैठक में किसानों को जिद न करने के बजाय विवादित संशोधनों पर जोर देने को कहा जाएगा। इस दौरान कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी देने जैसी मांगों पर विचार किया गया।

सरकार की तैयारी

बुद्धवार को होने वाली बैठक को लेकर सरकारी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। तीन दिसंबर को जिन बिंदुओं को चिन्हित किया गया था, उनके समाधान का प्रस्ताव बना लिया गया है। इनमें मंडी के बाहर होने वाले जिंस कारोबार को नियमित करने का प्रावधान जोड़ा जा सकता है। मंडी की तर्ज पर ही बाहर खरीद करने वालों को रजिस्ट्रेशन कराना पड़ सकता है। इसी तरह मंडी के भीतर और बाहर होने वाले कारोबार पर एक समान टैक्स का प्रावधान करने पर सहमति हो सकती है। इस आशय के कई प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। इसी तरह कांट्रैक्ट खेती कानून में भी कुछ छोटे मोटे संशोधन किए जा सकते हैं। दरअसल, पंजाब व हरियाणा समेत कई राज्यों में यह कानून कई सालों से अमल में है।

 

कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर जहां किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं, वहीं सरकार के पास कई संगठनों की ओर से कानूनों को किसान हित में बताकर जारी रखने की अपील की जाने लगी है। सरकार इन संशोधनों के सहारे आंदोलन कर रहे किसानों को राजी करा सकती है। भारत बंद के कमजोर प्रभाव को देखते हुए किसान संगठनों का रुख नरम हो सकता है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर किसानों के आंदोलन से जुड़े मसलों पर राय मशविरा किया। उन्होंने राज्य के किसान संगठनों और किसान उत्पादक संघों की राय के बारे में भी जानकारी दी। खट्टर ने कहा ‘भाजपा ने जब भी किसान हित के काम किए हैं, विपक्ष ने अलग राग अलापा है।’

वार्ता का रास्ता बंद नहीं

पांच दौर की वार्ता के बावजूद कोई समाधान न निकलने और मंगलवार को देशव्यापी बंद के आयोजन के बावजूद दोनों पक्षों ने बातचीत का रास्ता बंद नहीं किया है। सरकार ने भी कहा है कि किसानों की आशंकाओं के समाधान के लिए खुले मन बातचीत करने को तैयार हैं। बुद्धवार को छठवें दौर की बातचीत होनी है, जिसके लिए दोनों पक्षों की ओर से तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। इसी बीच वार्ता से ठीक पहले गृहमंत्री अमित शाह ने 13 प्रमुख संगठनों के किसान नेताओं को अपने आवास पर बातचीत के लिए शाम को आने का बुलावा भेजा। उन्होंने इसमे हिस्सा लेने की हामी भरी और अपने अन्य सहयोगी संगठनों से विचार विमर्श कर आए भी।

किसान संगठन इससे पहले भी कई बार मांग करते आए हैं कि कृषि कानूनों के मसले पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को बात करनी चाहिए। जबकि किसानों से वार्ता करने के लिए सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य व रेल मंत्री पीयूष गोयल हिस्सा ले रहे हैं।

नहीं चलेगी ‘हां या ना’ की जिद

कृषि सुधार के कानूनों के खिलाफ पंजाब और अन्य राज्यों के किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 13 दिनों से डेरा डाले हुए हैं। किसान नेता लगातार कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़े हुए हैं। यही वजह है कि सरकार के साथ किसानों की पांच दौर की वार्ता होने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकल सका है। अमित शाह से मुलाकात कर अपनी बात रखने से पूर्व सिंघु बार्डर पर किसान नेताओं ने प्रेसवार्ता कर अपनी जिद में नरमी न आने का संकेत दिया। किसान नेता रुद्रु सिंह मनसा ने कहा ‘विवादित कानूनों को रद्द करने के अलावा बीच के किसी रास्ते पर बातचीत नहीं होगी। हमे तो अमित शाह से सिर्फ ‘हां या ना’ में ही जवाब चाहिए।’

तेरह किसान नेता

अमित शाह के साथ बैठक में हिस्सा लेने के लिए जिन 13 किसान नेताओं को बुलावा भेजा गया है उनके नाम हैं: राकेश टिकैत, गुरुनाम सिंह चढ़ूनी, हनन मुल्ला, शिवकुमार कक्का, बलवीर सिंह, जगजीत सिंह, रुद्रु सिंह मनसा, मंजीत सिंह राय, बूटा सिंह बुर्जुगिल, हरिंदर सिंह लखोंवाल, दर्शन पाल, कुलवंत सिंह संधू और भोग सिंह मनसा प्रमुख है।