जानिए सुप्रीम न्यायालय के निर्णय के 5 बड़े मतलब, जिससे बदल गया इतिहास

उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद अब अयोध्या में भगवान श्रीराम के जन्मस्थान पर ही भव्य मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है.

इतिहास की एक भूल को सुधारते हुए उच्चतम न्यायालय ने जिस तरह सर्वसम्मति से निर्णय दिया  विवादित ढांचा तोड़े जाने के कारण मस्जिद निर्माण के लिए अलग से पांच एकड़ धरती के आवंटन का आदेश दिया है वह अभूतपूर्व बोला जा सकता है.

दरअसल न्यायिक इतिहास में भी यह ऐतिहासिक घटना है जो देश के सियासी , सामाजिक  सांस्कृतिक सरोकारों को एकजुटता के सूत्र में बांधेगी.  उससे भी बढ़कर जिस तरह हर संप्रदाय के लोगों ने इस निर्णय को स्वीकार किया है उससे आपसी समझ  सम्मान की गांठ मजबूत होगी. दिल से इस निर्णय को स्वीकार करने पर राम प्रदेश वापस आ जाएगा ऐसा तो नहीं बोला जा सकता है लेकिन इसकी आरंभ जरूर हो सकती है. देश ने इस बार शांति  सद्भाव के साथ इसकी जबरदस्त झलक दिखाई है.

5 बड़े निर्णय के 5 बड़े मतलब

हिंदुओं के लिए मंदिर निर्माण का रास्ता खुलने के बाद देश के हिंदू समुदाय की बहुप्रतीक्षित मांग पूरी हुई. अयोध्या  राममंदिर का उनके लिए विशेष महत्व है.

मुस्लिम समाज के लिए

एक अहम मुद्दे का सर्वोच्च कोर्ट के स्तर पर निवारण हुआ  जिस तरह पांच जजों की संविधान पीठ ने मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की बात कही उससे यह नहीं बोला जा सकता कि मुस्लिम समाज के हाथ खाली रहे.

सरकार के लिए

दो सबसे बड़े समुदायों से संबंधित इस धार्मिक मुद्दे का अदालती निर्णय आ जाने के कारण सरकार के स्तर पर कोई कदम उठाए जाने की सूरत खत्महो गई. अब उसे उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पालन सुनिश्चित करना है.

देश के लिए

अगर इतना संवेदनशील मुद्दा न्यायालय के स्तर पर सार्थक  निर्णायक ढंग से निपट सकता है तो यह एक देश के रूप में हिंदुस्तान के लिए गौरव बढ़ानेवाली बात है. इस मुद्दे की सम्मान इसी से समझी जा सकती है कि भावी सीजेआइ ने इसे संसार के सबसे बड़े मामलों में से एक बताया था.

राजनीति के लिए

भारत में पॉलिटिक्स की आलोचना करने वाले अक्सर ध्रुवीकरण के मामलों को गिनाने लगते हैं. अयोध्या मुद्दा तो इस सियासत की धुरी रहा है. इतने बड़े टकराव का शांतिपूर्ण निवारण वोट बैंक की सियासत पर कुछ रोक लगाने का कार्य कर सकता है.