उत्तराखंड : कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण बंद रहेगी चारधाम यात्रा, ऐसे करें दर्शन

मुख्यमंत्री रावत ने बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की जानकारी देते हुए ट्वीटर पर लिखा कि भगवान विष्णु के आठवें बैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट आज ब्रह्म मुहुर्त में 4.15 बजे विधि-विधान और धार्मिक अनुष्ठान के बाद कपाटोद्घाटन किया गया.

उन्होंने आगे कहा कि आम जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा राज्य सरकार की प्राथमिकता है. मैं भगवान बदरी विशाल से प्रदेशवासियों की आरोग्यता की कामना करता हूं.

एक के बाद एक ट्विट में उन्होंने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम के श्रद्धेय रावल (मुख्य पुजारी) श्री ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी जी और धर्माधिकारी श्री भुवन चंद उनियाल जी की अगुवाई में तीर्थ पुरोहित सीमित संख्या में मंदिर में भगवान बदरी विशाल की पूजा-अर्चना नियमित रूप से करेंगे.

कोरोना महामारी के कारण अस्थायी तौर पर चार धाम यात्रा स्थगित है. मेरा सभी से अनुरोध है कि भगवान के वर्चुअली दर्शन करें तथा अपने घरों में ही पूजा-अर्चना करें और धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करें.

बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पिछले महीनें ही कहा था कि कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण चार धाम यात्रा को स्थगित किया गया है. आने वाले समय में स्थिति की समीक्षा के बाद इस पर विचार किया जायेगा.

उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वह घरों पर ही रहकर पूजा-अर्चना करें. समय-समय पर पूजा का वीडियो जारी किया जायेगा, जिससे श्रद्धालु दर्शन का लाभ पा सकेंगे.

गढ़वाल हिमालय में स्थित भगवान शंकर की तीर्थ केदारनाथ, भगवान विष्णु का तीर्थ बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को चार धाम कहा जाता है. हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का बड़ा महत्व बताया गया है.

हर साल छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद चारों धाम के कपाट अप्रैल-मई में आम लोगों के लिए खोल दिये जाते हैं. पिछले साल भी कोरोना महामारी की वजह से चार धाम यात्रा पर रोक लगा दी गयी थी.

भगवान शंकर के विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ धाम (Kedarnath Temple) के बाद आज मंगलवार को भगवान विष्णु के आठवें बैकुंठ बदरीनाथ धाम (Badrinath Temple) के कपाट भी खोल दिये गये.

सुबह ब्रह्म मुहूर्त 4:15 बजे विधि-विधान के साथ भगवान की प्रथम पूजा की गयी. इस अवसर पर आम नागरिकों की मौजूदगी पर रोक थी. इस प्रकार चार धाम में शामिल केदारनाथ, बदरीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री सभी के कपाट शीतकालीन अवकाश के बाद खोल दिये गये हैं और दैनिक पूजा पाठ शुरू कर दी गयी है.