उत्तर प्रदेश के साथ इस राज्य में लागू हुआ ये नया कानून , होगी 10 साल की जेल

अगर विवाह एक नाबालिग, एक महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंध में है, तो सजा कम से कम चार साल और ज्यादा से ज्यादा सात साल जेल की होगी और 3 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा.

प्रस्तावित संशोधन के प्रावधानों में आगे कहा गया है कि अगर कोई संस्था या संगठन ऐसी शादी के लिए जिम्मेदार पाया जाता है, तो उसे कम से कम तीन साल की कैद और ज्यादा से ज्यादा 10 साल तक की सजा दी जाएगी. साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

विवाह के जरिए से इस तरह के धर्मांतरण को अपराध और गैर-जमानती माना जाएगा और इसकी जांच उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) के पद से ऊपर के अधिकारी द्वारा की जाएगी.

बीजेपी सरकार ने इस संशोधन को लाने का कारण बताते हुए कहा, “राज्य सरकार ने पाया है कि धार्मिक परिवर्तन के लिए महिलाओं को शादी का लालच दिया जाता है.”

जो कोई भी विवाह का लालच देकर धर्मांतरण करता हुआ पाया गया, या किसी व्यक्ति की शादी करवाता है या किसी व्यक्ति की शादी करने के लिए सहायता करता है, उसे कम से कम तीन साल और अधिकतम पांच साल तक के जेल की सजा दी जाएगी. साथ ही उसपर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

विधेयक को गुजरात विधानसभा में मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा द्वारा पेश किया गया था. बीजेपी का तर्क है कि गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट, 2003 जबरन या धोखाधड़ी से या लालच देकर धर्मातरण करने से रोकता है.

गुजरात सरकार ने दावा किया है कि शादी की आड़ में महिलाओं को धार्मिक परिवर्तन की ओर आकर्षित करने, बेहतर जीवनशैली और दैवीय आशीर्वाद का वादा करने का मामला देखा गया है, ऐसे में कानून में संशोधन करने के पीछे इन्हीं मामलों को रोकना मकसद है.

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद अब गुजरात में कथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनने जा रहा है. गुजरात विधानसभा में जबरन धर्मांतरण रोकने के नाम पर गुजरात धार्मिक स्‍वतंत्रता एक्‍ट, 2003, में संशोधन करने के लिए बिल पेश किया गया था. जिसे बीजेपी ने पास करा लिया है.