कोरोना से स्वस्थ हुए मरीज नहीं कर सकते ये काम, वजह जानकर लोग हुए हैरान

कई संक्रमितों ने परिवार के अतिरिक्त पास-पड़ोस से भी सहायता मिलने की बात कही. डाक्टर गंगाधर ने बोला कि संक्रमितों, स्वास्थ्यकर्मियों व आम जनता की मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए निजी पेशेवरों की सहायता भी ली जा रही है.

देश में अब 20 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से स्वस्थ हो चुके हैं व उन्हें भी मानसिक सहायता उपलब्ध कराए जाने की कार्ययोजना पर काम चल रहा है. उन्होंने बोला कि कोरोना संक्रमित के सामाजिक तिरस्कार या अलगाव की भावना भी निर्बल पड़ी है.

डाक्टर गंगाधर ने बोला कि यह दिखाता है कि लोग कोरोना से लंबी लड़ाई के लिए मानसिक रूप से तैयार हो रहे हैं. ज्यादातर कॉल निजी या परिवार से कोरोना के संक्रमित होने या ऐसा होने की संभावना या आर्थिक परेशानियों से जुड़ी हुई हैं.

विज्ञान संस्थान (निमहांस) के निदेशक डाक्टर बीएन गंगाधर ने शुक्रवार को बताया कि जून-जुलाई तक संस्थान को मानसिक परेशानियों से संबंधित करीब दो हजार कॉल रोजाना मिलती थीं, जो अब घटकर एक हजार से कम रह गई हैं.

भारत में भी बढ़ते संक्रमण से लड़ने की मानसिक दृढ़ता मजबूत होने के साथ चिंता, तनाव या अवसाद की शिकायतें कम हुई हैं. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं स्नायु