सामने आया कैलाश का रहस्य, पहाड़ के भीतर से आती है…

हिमालय पर्वतमाला के समुद्र की सतह से 6718 मीटर ऊंचे कैलाश पर्वत को हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायी पवित्र पर्वत मानते हैं. हिन्दुओं का मानना ​​है कि भगवान शिव का वास इसी पर्वत पर है.

यहीं उन्होंने अपनी समाधि लगाई थी. तिब्बती बौद्धों का मानना ​​है कि परम आनन्द के प्रतीक बुद्ध डेमचोक (धर्मपाल) कैलास पर्वत के अधिष्ठाता देव हैं.

वह कैलास पर निवास के करते हैं. जैन धर्म के अनुयायी कैलाश को अष्टापद कहते हैं. उनका मानना है कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया था.

आज तक कोई मनुष्य इस पवित्र पर्वत पर नहीं चढ़ पाया. जिसने भी चढ़ने की कोशिश की, उसकी मृत्यु हो गई. इस बारे में बहुत-सी बातें प्रचलित हैं.

चीन की सरकार ने कैलाश पर्वत की धार्मिक संवेदनशीलता को देखते हुए पर्वतारोहियों पर पाबन्दी लगा रखी है. इस पर पर्वतारोहण पूरी तरह से बंद है.

एक रूसी डॉक्टर ने कुछ साल पहले कैलाश मानसरोवर की यात्रा की थी. उसने दावा किया था कि कैलाश पर्वत वास्तव में एक प्राचीन मानव निर्मित पिरामिड है, जो अनेक छोटे-छोटे पिरामिडों से घिरा हुआ है. इसके तार गीज़ा व टिओथ्युआकान (मैक्सिको) के पिरामिडों से जुड़े हैं.