निर्भया के साथ अंतिम सांस तब बर्बरता करने वाले इस दोषी ने फांसी पर चड़ने से पहले भीख में माँगा ये…

निर्भया केस के सभी चार दोषियों को फांसी दे दी गई है। निर्भया की मां आशा देवी ने अपनी बेटी को इंसाफ दिए जाने के बाद कहा कि आज हमको इंसाफ मिला। यह दिन देश की बच्चियों को समर्पित है।

इसके साथ ही आशा देवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से वापस जाकर मैं सबसे पहले अपनी बेटी की फोटो को चूमते हुए गले लगाकर उसे बताऊंगी कि बेटी तुझे इंसाफ मिल गया है। उन्होंने कहा कि हमारी बेटी ने जो कष्ट झेला वह देश की कोई दूसरी बेटी न झेले इसलिए उसकी मौत के बाद से ही हमने यह लंबी लड़ाई लड़ी है।

पवन के पिता, दादी और बहन समेत परिवार के सदस्य आरकेपुरम इलाके में उसके साथ संत रविदास कैंप में रहते थे। उसकी बहन और दादी ने 2017 में फांसी की सजा के बाद अदालत और कानून पर टिप्पणी की थी। दोनों का मानना था कि पवन को न्याय पाने के लिए प्रयास करने का मौका नहीं दिया गया था। पवन के चाचा भी दिल्ली में रहकर काम करते हैं। निर्भया कांड के बाद पवन की मां की मौत पर पिता एक बार अपने गांव जगन्नाथपुर आए थे, लेकिन वह क्रिया-कर्म के बाद लौट गए थे।

दो भाई व दो बहन में सबसे बड़ा पवन दुकानदारी के अलावा ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी कर रहा था। पिता ने यहां लालगंज थाने के महादेवा चौराहे के पास गांव में भी जमीन ली थी और उस पर मकान बनवाना शुरू किया था, मगर 16 दिसंबर 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद से काम ठप हो गया। निचली अदालत ने 10 सितंबर 2013 में जब उसे फांसी की सजा सुनाई तो गांव में लोगों ने समर्थन किया लेकिन दादी ने उसके छूटने की बात की थी।