नेपाल में आया भारी संकट , क्या ख़त्म हो जाएंगा…, भागते नजर आए लोग

नेपाल में लोकतंत्र आए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है. दरअसल, नेपाल साल 2008 तक किंगडम ऑफ नेपाल था और अब जब यहां लोकतंत्र आया है.

तो करीब 12 साल में ही देश का एक वर्ग इससे परेशान होने लगा है और अब इस डेमोक्रेसी को हटाने की मांग की जा रही है. लोगों की मांग है कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बना दिया जाए और पहले की तरह ही राजा के हाथ में सत्ता दे दी जाए.

दरअसल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में फिलहाल दो गुट हैं जिनके बीच अक्सर विवाद देखने को मिलता है, एक है कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी ओली का और दूसरा गुट है पुष्प कमल दहल प्रचंड का. अभी हाल ही में प्रचंड गुट ने ओली को संसदीय दल के नेता के पद से हटा कर प्रचंड को बैठा दिया था. अब दोनों गुट एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि वह पार्टी को अपने कब्जे में लेना चाह रही है.

हम हमेशा से सुनते आए हैं कि लोग राजशाही को हटाकर लोकतंत्र की मांग करते हैं लेकिन नेपाल में उलट हो रहा है. वहां के लोगों का मानना है कि वो राजतंत्र में लोकतंत्र से ज्यादा खुश थे. साथ ही लोग सत्तारुढ़ पार्टी नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के कामों से नाखुश हैं, साथ ही सरकार पर भष्ट्राचार के भी कई गंभीर आरोप लग रहे हैं.

इसके अलावा लोकतंत्र का विरोध होने की वजह राजनीतिक उठापठक को भी माना जा रहा है, क्योंकि पिछले 12 सालों में ही नेपाल की जनता कई प्रधानमंत्री देख चुकी है. कुछ संगठनों का आरोप है कि लोकतत्रं में पार्टियां राष्ट्र हित से ज्यादा विदेशियों पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं.

दरअसल नेपाल हमेशा से राजतंत्र वाला देश रहा है, वहां पिछले 240 सालों से राजशाही थी इसके बाद माओवादियों ने काफी संघर्ष किया और मई 2008 में नेपाल से राजशाही का अंत हो गया.

लेकिन अब वहां कि जनता नेपाल में फिर से राजशाही की डिमांड करने लगी है. दरअसल वहां कि जनता नेपाल की सत्तारुढ़ पार्टी नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के शासन से परेशान है और उसे लग रह है कि इस सरकार से तो कहीं बेहतर राजशाही थी.

दशकों से दुनिया का एक मात्र हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल में अब लोग फिर लोकतंत्र को खत्म कर राज तंत्र लाने की मांग कर रहे हैं, यह देखना काफी अचरज भरा हो सकता है की किसी देश की जनता लोकतंत्र को खत्म कर राजतंत्र को लाने की मांग कर रही हो.

हालांकि पिछले कुछ महीनों से हमारे पड़ोसी देश नेपाल में कुछ ऐसा ही हो रहा है और उसका सबसे बड़ा कारण है एक नाकाम सरकार जिसने लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखा कर उन पर पानी डाल दिया.