चीन ने किया इस देश पर अपना दावा, किसी भी समय कर सकता हमला

चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है, जबकि दोनों ही ओर अलग-अलग सरकारें हैं. ताइवान में चीन की दखल आए दिन बढ़ रही है, जिसका ताइवान साफ शब्दों में विरोध जताता है.

 

हालांकि अमेरिका ताइवान के साथ पूरा समर्थन जाहिर करता है. हाल के महीनों में चीन ने ताइवान के क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधियों में इजाफा किया है.

नवंबर में अमेरिका और ताइवान ने वाशिंगटन में आर्थिक संबंधों के लिए एक ब्लूप्रिंट पर हस्ताक्षर किए थे. चीन और अमेरिका के बीच तनाव का एक कारण ताइवान को मिलने वाला अमेरिकी समर्थन भी है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) भी ताइवान को लेकर अपनी मंशा साफ कर चुके हैं.

ब्लिंकेन ने कहा, ‘मैं आपकी राय साझा करना चाहता हूं कि ताइवान एक मजबूत लोकतंत्र है, एक मजबूत तकनीकी ताकत और एक ऐसा देश जो ना केवल अपने लोगों को बल्कि दुनिया में भी योगदान कर सकता है.’

विदेश विभाग ने अलिखित पॉलिसी में ताइवान को ‘देश’ लिखने से परहेज किया है, वह इसे आत्म शासित द्वीप के तौर पर संबोधित करता आया है. ऐसा वन चाइना पॉलिसी (One China Policy) को ध्यान में रखते हुए किया जाता है.

अमेरिका और चीन (US China Tensions) के बीच कई मामलों पर विवाद हो रहा है. इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन (Antony Blinken) ने ताइवान (Taiwan) को ‘देश’ कहकर संबोधित किया है.

इससे पहले अमेरिकी अधिकारियों ने ताइवान को देश बोलने से परहेज किया था. उन्होंने ये बात फॉरन अफेयर्स कमिटी में कही है. ब्लिंकेन ने कैलिफोर्निया (California) से रिपब्लिकन प्रतिनिधि यांग किम को जवाब देते हुए ये बात कही है. किम ने कहा था कि अमेरिका को ताइवान को आने वाले लोकतंत्र शिखर सम्मेलन में शामिल करना चाहिए.