धोखा देने वाली ऐसी दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों पर चला सरकार का चाबुक, जानिये क्या है फेक

दवा उत्पादों को बढ़ावा देने वाले दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों को नियंत्रित किया जा सके। सरकार इस तरह के भ्रामक विज्ञापनों पर 50 लाख रुपये का जुर्माना और 5 साल तक की कैद की सजा देने का प्रावधान ला रही है।जिससे त्वचा, बहरेपन, लंबाई बढ़ाना, बालों के झड़ने या सफेद होने, मोटापा आदि के लिए

इस नए मसौदे में ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 2020 के तहत पहली बार दो साल की सजा का साथ 20 लाख रुपए तक का जुर्माना है। यदि दोबारा कोई दोषी पाया जाता है

केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दी सच्चे हिन्दू की ऐसी परिभाषा और अमित शाह को बताया भगौड़ा

तो उसमें 5 साल तक की जेल और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। फिलहाल, इस संशोधन में 6 महीने की जेल और जुर्माना है, वहीं दूसरी बारी में एक साल तक के कारावास की सजा है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने “बदलते समय और प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए” इस संशोधन का प्रस्ताव रखा है। ड्राफ्ट में निर्दिष्ट 78 बीमारियों, विकारों या शर्तों के तहत उपभोक्ताओं को धोखा देने वाली कोई भी ऐसी दवा या उत्पाद के ऑडियो या वीडियो के प्रचार को अपराध माना जाएगा।

प्रवर्तन निदेशालय ने किया दावा, शाहीन बाग की फंडिंग में देशविरोधी ताकतों का हाथ

इस अधिनियम में वर्तमान में 54 ऐसे रोग, विकार या स्थितियां शामिल हैं। मंत्रालय ने इस मसौदा विधेयक के संबंध में जनता या हितधारकों से सुझाव, टिप्पणियां या असहमति पर राय मांगी हैं और शायद यह 45 दिनों के भीतर प्रेषित कर दी गई हैं।