बहुत तेज़ी से चल रहा पाकिस्तान सीमा से सटे इलाकों में सुरंगें बनाने का काम अब पाकिस्तान तो…

चीन और पाकिस्तान सीमा से सटे इलाकों में सुरंगें बनाने का काम जल्द पूरी रफ्तार पकड़ लेने की उम्मीद है। भारत ने चीनी सीमा से सटे इलाकों में सुरंगों के निर्माण पर काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा सामरिक लिहाज से महत्वपूर्ण पाकिस्तानी सीमा पर भी 6 नए सुरंग निर्माण की तैयारी चल रही है। इन सब में सबसे ज्यादा चर्चा असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनाए जाने वाले अत्याधुनिक सुरंग को लेकर है, जिसके निर्माण के लिए विदेशों से भी टेंडर मंगवाए गए हैं। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाजेशन फिलहाल जिस मोर्चे पर काम कर रहा है, उसके बाद देश में सामरिक महत्त्व की सुरंगों की कुल संख्या 19 हो जाने की उम्मीद है।

चीन से सटे सीमावर्ती इलाकों में 4 नई सुरंग बनेगी
भारत ने असम में ब्रह्मपुत्र नदी के अंदर अत्याधुनिक सुरंग बनाने के लिए एक ग्लोबल टेंडर जारी किया है। इसके अलावा चीनी सीमा से सटे इलाकों में तीन और सुरंग निर्माण के लिए भी काम शुरू किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक सीमावर्ती इलाकों में सड़क निर्माण के लिए जिम्मेदार बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने असम में ब्रह्मपुत्र के नीचे सुरंग बनाने के लिए ग्लोबल टेंडर जारी करने के अलावा अरुणाचल प्रदेश में सेला दर्रे के नीचे सुरंग निर्माण के लिए खुदाई का काम भी शुरू कर दिया है। यही नहीं अरुणाचल में ही एक और दर्रे में भी सुरंग बनाने का काम जल्द शुरू होने वाला है, जिससे तवांग की दूरी कम हो जाएगी। इसी महीने की शुरुआत में बीआरओ ने सुरंगों के निर्माण से जुड़ी अपनी योजना से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी रूबरू करवाया था। इन सुरंगों में से ब्रह्मपुत्र नदी के अंदर बनने वाली सुरंग को काफी अहम माना जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक इसका टेंडर अक्टूबर में ही जारी कर दिया गया था और कंपनियों को जनवरी तक इसपर अपना जवाब देना है।

पाकिस्तानी सीमा के आसपास भी नई सुरंगों की है तैयारी

इसी तरह पश्चिमी सीमावर्ती इलाकों में भी बीआरओ 6 नई सुरंगों पर काम कर रहा है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में साधना दर्रा के पास बनने वाली सुरंग भी शामिल है, जो कुपवाड़ा की करनाह तहसील को बाकी कश्मीर घाटी से जोड़ेगी। कुपवाड़ा में ही एक और सुरंग का निर्माण होना है जो इलाके को बाकी जम्मू-कश्मीर से जोड़ेगी। इस तरह से तैयार होने के बाद चीन और पाकिस्तान से सटे इलाकों में कुल 19 सुरंगे हो जाएंगी, इनमें पहले से तैयार और बनने वाले नई सुरंगें भी शामिल हैं। एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि ‘जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में कुल 19 सुरंगे तैयार करने की योजना है। इनमें से करीब 15 जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में होंगे…..’ इन 19 सुरंगों के अलावा अखनूर-पुंछ रोड पर अलग से भी चार सुरंगों की योजना है, जो दूरी और वक्त दोनों घटाएंगे।

40 में सेना पहुंच सकेगी डोकलाम

इस साल बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने जो देशभर के सीमावर्ती इलाकों में करीब 6 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया है, उसमें सामिरक रूप से अहम सिक्किम के डोकलाम तक जाने वाली 19.72 किलोमीटर लंबी सड़क भी है, जो भीम बेस से डोकलाम को जोड़ती है। इस सड़क के निर्माण के बाद भारतीय सेना के लिए यहां पहुंचना बहुत ही आसान हो गया है। पहले भारतीय सेना को यहां पहुंचने में 7 घंटे तक लग जाते थे, लेकिन नई सड़क बनने के बाद ये दूरी महज 40 मिनट में ही पूरी की जा सकती है। यह सड़क हर मौसम में इस्तेमाल लायक बनाई गई है और इसकी मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसपर वजन को लेकर आवाजाही की कोई सीमा तय नहीं की गई है।

73 दिनों तक चला था डोकलाम संघर्ष

बता दें कि 2017 में सिक्किम के डोकलाम पठार में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के बीच 73 दिनों तक संघर्ष की स्थिति बनी रही थी और भारतीय सेना ने पीएलए को नाकों चने चबाने के लिए मजबूर कर दिया था। हालांकि, तब भारतीय सेना को वहां तक पहुंचने में काफी परेशानी पेश आ रही थी, क्योंकि तब वहां तक सड़क मार्ग से जल्द पहुंचने में काफी परेशानियां थीं। यही वजह है कि अब सामरिक रूप से इस महत्वपूर्ण सड़क निर्माण को बहुत अहमियत दी जा रही है।