ताजमहल पर हरे कीड़ों का हमला, संगमरमरी पत्थर हुए ऐसे…

मुना में प्रदूषण बढ़ने और पानी कम होने से गोल्डी कायरोनोमस कीड़े पनपने लगे हैं। इन कीड़ों ने ताजमहल पर हमला कर उसके पत्थरों को बदरंग कर दिया है। स्मारक के संगरमरमरी पत्थरों का रंग हल्का हरा और काला होता जा रहा है।

यमुना किनारे के आर्च, मुख्य गुंबद की जालियों पर लगे कीड़ों के निशानों से बदरंग हो रहे पत्थरों की तस्वीरें सैलानी अपने कैमरे में कैद करके ले जा रहे हैं।

अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर ताजमहल पर इन दिनों खतरनाक काइरोनोमस नाम के कीड़े ने हमला बोल दिया है। कीड़े के हमले से ताज की सुंदरता पर धब्बे लग रहे हैं। यह कीड़ा ताज के सफ़ेद संगमरमर को हरे रंग के दागों से भर रहा है।

जानकार बताते हैं कि यमुना में प्रदूषण बढ़ने और पानी कम होने पर गोल्डी कायरोनोमस कीड़े पनपने लगते हैं। इधर, तापमान में बढ़ोतरी भी इनके पनपने का एक बड़ा कारण है। ये कीड़े यमुना में से उड़कर सीधे ताजमहल की ओर आते हैं। यहां पत्थरों से टकराते हैं। पत्थरों पर कीड़ों का एकत्र होने और इनके स्राव के कारण काले और हरे रंग के निशान दिखने लगे हैं।

अष्टकोणीय ताज के उत्तर-पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी किनारों पर भी हरे रंग की गंदगी दिखाई देने लगी है। अब तक स्मारक में पच्चीकारी व दीवारों को नीचे की तरफ हरा कर रहे कीड़ों का असर अब ऊपर तक दिखाई देने लगा है।

यमुना की ओर बने आर्च में भी इनके निशान देखे जा रहे हैं। यही नहीं मुख्य गुंबद की जालियों के नीचे की किनारी में तो इनका जमावड़ा भी दिखने लगा है। विदेशी सैलानी कौतूहलवश इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद करके ले जा रहे हैं। दो साल पहले भी कीड़ों के पनपने और उनके द्वारा ताज पर हमला करने के कारण पत्थर बदरंग हो गए थे। इस मामले का बीते सालों में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी संज्ञान लिया था।

पिछले आठ साल में चार बार ताज इन कीड़ों के कारण बदरंग हो चुका है। 2015, 2019, 2021 और अब इनका प्रकोप दिख रहा है। काइरोनोमस मादा कीट एक बार में एक हजार तक अंडे देती है। लार्वा और प्यूमा के बाद करीब 28 दिन में पूरा कीड़ा बनता है। यह दो दिन तक जीवित रहता है। यमुना नदी में पानी कम होने और प्रदूषण बढ़ने पर कीड़ों के कारण हरे और काले निशान पड़े हैं।

एएसआई के वरिष्ठ संरक्षण सहायक, प्रिंस वाजपेयी ने कहा कि कीडों से पत्थरों पर जमा हरे रंग को पानी से धुलवाया जाएगा। पत्थरों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा।

आठ साल पहले 2015 में प्रशासन ने कीड़ों को पनपने से रोकने के लिए 11 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी ने तय किया था कि ताज के पीछे यमुना में उत्खनन कराया जाएगा। यमुना में दलदल न हो सके। इसके लिए यमुना के पानी को कम नहीं होने दिया जाएगा। कोशिश रहेगी कि मथुरा की ओर से पर्याप्त मात्रा में आगरा के लिए पानी छोड़ा जाता रहे। उसके बाद भी आज तक इस योजना पर कोई काम नहीं हुआ।