कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है मोटापा, शोध में हुआ खुलासा

मोटे व अधिक वजन वाले लोगों के लिए एक खुशखबरी है, हाल ही में शोधकर्ताओं ने पाया है कि हायर बॉडी वेट या हाई बॉडी मास इंडेक्स ( bmi ) कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है.

नॉन स्माल सेल लंग कैंसर (NSCLC) के लिए एक सामान्य इम्यूनोथेरेपी उपचार, एटिजोलिजुमाब के नैदानिक परीक्षणों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, फ़्लिंडर्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के साथ दवा के इस्तेमाल ज्यादा लाभकारी पाया है.

ऑस्ट्रेलिया में फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय में कार्यरत अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक गणेशन किचेनदास ने बोला कि यह एक दिलचस्प परिणाम है व यह अन्य कैंसर व अन्य कैंसर-रोधी दवाओं के साथ आगे की जाँच करने की क्षमता को बढ़ाता है. हमें बीएमआई व संबंधित सूजन के बीच संभावित लिंक में व अध्ययन करने की जरूरत है, जो कैंसर के इस उपचार के रूप में विरोधाभासी रिएक्शन के पीछे के तंत्र को समझने में मदद कर सकता है.

WHO का अनुमान है कि अधिक वजन या मोटापे के कारण कम से कम 2.8 मिलियन लोगों की हर वर्ष मृत्यु हो जाती है. अधिक वजन व फैट की चर्बी रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स व इंसुलिन प्रतिरोध पर प्रतिकूल मेटाबॉलिज्म असर को दर्शाता है. कोरोनरी हार्ट डिजीज, इस्केमिक स्ट्रोक व टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस के खतरे लगातार बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के साथ बढ़ते हैं.

किचेनदास ने बोला कि पिछले अध्ययनों ने मोटापे को कुछ तरह के कैंसर को बढ़ावा देने वाला माना गया हैं, जबकि हाल के अध्ययन में ये सामने आया है कि फैट की चर्बी कुछ कैंसर के जोखिमों को कम करने में सहायक होने कि सम्भावना है.

JAMA ऑन्कोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित इन निष्कर्षों के लिए, 1,434 प्रतिभागियों ने अध्ययन में भाग लिया, जिसमें 49 फीसदी सामान्य वजन, 34 फीसदी अधिक वजन व सात फीसदी मोटे थे.