अयोध्या मुद्दे में कई दिनों से चले आ रहे इंतजार के बाद आखिर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court ) ने अपना निर्णय सुना ही दिया।
शनिवार को उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय पर सभी ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं जाहीर की। उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय को मुस्लिम समुदाय ने स्वीकार करते हुए सदस्यों से शांति एवं सौहार्द बनाये रखने की अपील की है। कुछ धार्मिक विद्वान ने बोला कि पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का विकल्प खुला है, लेकिन वह समाज की बेहतरी के लिए निर्णय को स्वीकार कर रहे हैं।
मस्जिद के लिए आवंटित की 5 एकड़ की जमीन
उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को सर्वसम्मति से लिये गये निर्णय में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया व केन्द्र सरकार को आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही किसी प्रमुख जगह पर नयी मस्जिद के निर्माण के लिए वैकल्पिक पांच एकड़ की जमीन आवंटित की जाए। मुस्लिम समुदाय ने बोला निर्णय सभी समुदायों को कबूल होना चाहिए। हम उच्चतम न्यायालय के निर्णय का सम्मान करेंगे जो देश के हित में है।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 5 एकड़ जमीन स्वीकार की
ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल के महासचिव मौलाना महबूब दरयादी ने बोला कि हम खुश हैं कि न्यायालय में सुनवाई पूरी हो गयी। हम कहते आ रहे हैं कि जो भी निर्णय आएगा, हम स्वीकार करेंगे। हम उच्चतम न्यायालय के अंतिम फैसला को स्वीकार करते हैं। हम इस बात से भी खुश हैं कि उच्चतम न्यायालय ने शिया वक्फ बोर्ड तथा निर्मोही अखाड़े की अपील को खारिज कर दिया। हम सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने की बात स्वीकार करते हैं। खोजा शिया जमात के वरिष्ठ मेम्बर शब्बीर सोमजी ने बोला कि उन्होंने देश के हित में निर्णय स्वीकार किया है।
मौलाना सैयद अथरली ने कहा
ऑल इंडिया मुस्लिम व्यक्तिगत लॉ बोर्ड के मेम्बर मौलाना सैयद अथरली ने बोला कि हमें देश में कानून व्यवस्था बनाकर रखनी चाहिए व सुनिश्चित करना चाहिए कि शांति बनी रहे। हमें उच्चतम न्यायालय के आदेश को स्वीकार करना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बोला कि उनके लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का विकल्प खुला है। हम इस बारे में विचार करेंगे।
माहिम दरगाह के प्रबंध ट्रस्टी तथा हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी सुहैल खंडवानी ने कहा, गर्व की बात है कि हिंदुस्तानियों ने शीर्ष न्यायालय के अंतिम आदेश को स्वीकार कर लिया है। उच्चतम न्यायालय ने संतुलित निर्णय सुनाया है, यह निर्णय किसी धर्म विशेष के पक्ष में नहीं है। निर्णय से संदेश गया है कि हिंदुस्तान जाति व वर्ण से ऊपर है।