अयोध्या मामले पर मुस्लिम पक्ष को केन्द्र सरकार ने दिया ये बड़ा तोहफा, जानिए कैसे…

अयोध्या (Ayodhya) मामले पर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने निर्णय सुना दिया है 2.77 एक विवादित जमीन रामलला विराजमान को राम मंदिर बनाने के लिए दे दी गई है
 मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने का केन्द्र सरकार को आदेश दिया है साथ ही यह भी आदेश दिया कि मंदिर निर्माण के लिए केन्द्र सरकार एक ट्रस्ट बनाए  उसमें निर्मोही अखाड़ा को भी अगुवाई दिया जाए हालांकि निर्मोही अखाड़े का दावा उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया लेकिन मंदिर के ट्रस्ट में उसकी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर दी

मुस्लिम पक्ष ने भी स्वीकार किया सुप्रीम न्यायालय का फैसला
सुप्रीम न्यायालय के इस निर्णय पर उम्मीद के मुताबिक कोई प्रतिकूल रिएक्शन नहीं आई है मुस्लिम पक्ष ने भी कुछ बिंदुओं से असंतुष्टि जताते हुए उच्चतम न्यायालय के निर्णय को ससम्मान स्वीकार किया है निर्णय के फौरन बाद ऑल इंडिया मुस्लिम व्यक्तिगत लॉ बोर्ड (AIMPLB) की तरफ से की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के एडवोकेट रहे ज़फरयाब जिलानी ने मुसलमानों से अपील की कि इस निर्णय का कहीं कोई विरोध या इसके विरूद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं किया जाना चाहिए उन्होंने कहा, ‘कुछ बिंदुओं से हम संतुष्ट नहीं हैं लेकिन फिर भी हम उसका सम्मान करते हैं ‘ उन्होंने यह जरूर बोला कि कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण या निर्णय के पुनर्विचार के लिए वह दोबारा उच्चतम न्यायालय जा सकते हैं लेकिन इसका निर्णय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में किया जाएगा इससे पहले इस बारे में कुछ भी बोलना मुनासिब नहीं है

इस मामले को लेकर बदली मुसलमानों की सोच

सबसे अच्छी बात यह है कि न्यायालय का निर्णय आने से पहले तमाम मुस्लिम पक्ष सार्वजनिक रूप से यह बात कह चुके थे कि उच्चतम न्यायालय का जो निर्णय आएगा, वो बगैर किसी ना नुकुर के उन्हें कुबूल होगा निर्णय आने के बाद इसी बात पर वो कायम भी है दरअसल अयोध्या में साल 1992 में मस्जिद गिराए जाने के बाद से इस टकराव को लेकर मुसलमानों की सोच में बहुत परिवर्तन आया है पहले जहां इस मामले पर तलवारें खिंची रहती थीं, वहीं अब मुस्लिम समुदाय ठंडे दिमाग से सोच रहा है सोशल मीडिया पर जो मुस्लिम नौजवान रिएक्शन दे रहे हैं, उनमें बड़ा भाग उनका है जो यह कहते हैं कि अगर उच्चतम न्यायालय ने राम मंदिर के हक़ में निर्णय सुनाया है तो मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन भी लेने से मना कर देना चाहिए

मस्जिद गिराना अवैध था

हालांकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से उच्चतम न्यायालय के निर्णय में कुछ विसंगतियों की तरफ संकेत किया गया है मसलन उच्चतम न्यायालय ने माना है कि साल 1949 में मंदिर के अंदर मूर्तियां रखना एकदम गलत था  छह दिसंबर, 1992 को मस्जिद का गिराया जाना भी अवैध कार्य था इसके बावजूद उच्चतम न्यायालय का निर्णय मंदिर के पक्ष में ही सुनाया गया कुछ महीनों पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री  भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बोला था कि उच्चतम न्यायालय को ऐसे निर्णय करने चाहिए जिन्हें लागू किया जा सके उनका संकेत केरल के सबरीमाला मंदिर में स्त्रियों के प्रवेश पर दिए गए उच्चतम न्यायालय के निर्णय की तरफ था इसे लेकर केरल में तीव्र जनाक्रोश था उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बावजूद इसे लागू नहीं किया जा सका  स्त्रियों को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं मिली