भारत और चीन के बीच आज होने जा रहा ये, भारी संख्या मे नज़र आई सेना

भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का एक और दौर आज होने जा रहा है. इस बातचीत के पहले भारतीय थल सेना के प्रमुख जनरल एम. एम. नरावणे ने कहा है कि हमारी सेना फॉवर्ड में तैनात है. वो एक इंच भी नहीं हटेगी. हम इसपर तब विचार करेंगे जब चीन की सेना भी पीछे हटेगी.

 

उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि बड़े पैमाने पर चीनी सैनिकों का जमावड़ा यहां लगा हुआ है. चीनी सेना की ओर से यहां निर्माण किया गया है. इसका मतलब है कि पीएलए का विचार कुछ और है. हमारी इसपर पैनी नजर है. यदि वहां वे रहेंगे तो हम भी पीछे नहीं हटेंगे. हमारी सेना उनके सामने डटी रहेगी. बताया जा रहा है कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष बिंदुओं से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया में कुछ आगे बढ़ने पर ध्यान दिया जाएगा.

बातचीत को लेकर सूत्रों ने जानकारी दी है कि वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीनी पक्ष पर मोल्डो सीमा बिंदु पर सुबह साढ़े दस बजे शुरू होगी. भारतीय पक्ष से उम्मीद की जाती है कि वह देप्सांग बुलगे और डेमचोक में मुद्दों के समाधान के लिए दबाव डालने के अलावा टकराव वाले शेष बिंदुओं से जल्द से जल्द सैनिकों की वापसी की मांग करेगा.

यहां चर्चा कर दें कि दोनों देशों के बीच 12वें दौर की बातचीत 31 जुलाई को हुई थी. वार्ता के कुछ दिनों बाद, दोनों सेनाओं ने गोगरा में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की, जिसे इस क्षेत्र में शांति की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया. अब चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की कोशिश की दो हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में 13वें दौर की बातचीत होने वाली है. ये घटनाएं उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में और दूसरी अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई थी.

सेना प्रमुख ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने महसूस किया कि उसे आइएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) के क्षेत्र में और अधिक करने की जरूरत है. पिछले एक साल में हमारे आधुनिकीकरण की यही सबसे बड़ी ताकत रही है. अन्य हथियार और उपकरण, जो हमें भविष्य के लिए चाहिए, उन पर भी हमारा ध्यान गया है.

सेना प्रमुख ने कहा कि हमें सैन्य जमावड़े और तैनाती पर कड़ी नजर रखनी होगी, ताकि वे (पीएलए) एक बार फिर कोई दुस्साहस नहीं करें. जनरल नरवणे ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह समझना मुश्किल है कि चीन ने ऐसे समय गतिरोध क्यों शुरू किया, जब दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही थी और उसके सामने देश के पूर्वी समुद्र की ओर कुछ मुद्दे थे.