दिल्ली में अभी – अभी भारी संख्या में मुसलमानों ने…शुरू किया…

दिल्ली के दंगे रोहणिया मुसलमानों और उनको राजनैतिक संरक्षण में देने वाले नेताओं के ‘गठजोड़’ की देन थे। दिल्ली में रोहणिया मुसलमानों के बल पर ही दिल्ली में दो दिन तक आगजनी-लूटपाट और हत्याओं का तांडव चला जिसे कुछ स्थानीय अराजक तत्वों और सड़क छाप नेताओं ने तन-मन-धन के साथ पूरा समर्थन दिया।

दिल्ली में रोहणिया मुलसमानों की घुसपैठ सिर्फ यूपी से ही नहीं हुई है। म्यमांर से भाग कर भारत की सीमाओं में चोरी-छिपे घुसने वाले मुसलमानों ने सबसे पहले पश्चिम बंगाल को अपना ठिकाना बनाया तो जम्मू-कश्मीर(धारा 370 हटने से पूर्व) भी रोहणियाओं को खूब रास आया.

मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित राज्य घोषित कर दिया तो रोहणियों के लिए वहां रहना मुश्किल हो गया,क्योंकि वहां चप्पे-चप्पे पर तैनात सेना पूरी मुस्तैदी के साथ रोहणियों के पीछे पड़ी थी। इसी के चलते यहां से भी रोहणिया मुसलमान भाग कर दिल्ली आ गए।

इसी के चलते दिल्ली में रोहणिया मुसलमानों की आबादी में काफी तेजी से इजाफा हुआ।दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पहले धरना-प्रदर्शन और उसके बाद हिंसा-आगजनी में 30 से अधिक लोगों की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

दंगा सुनियोजित था,यह बात आईने की तरफ साफ हो गई है। दंगे के पीछे के साजिशकर्ताओं का पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस और खुफिया तंत्र हर एंगिल से दंगे की जांच कर रही हैै।

आम आदमी पार्टी की तरफ से आरोप लगाया जा रहा है कि यूपी से आए लोगों ने दंगा भड़काया तो चर्चा इस बात की शुरू हो गई कि दिल्ली दंगा का यूपी कनेक्शन क्या है ?

इस चर्चा में कुछ ऐसे तथ्य सामने आए,जिसके आधार पर ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जिस तरह से घुसपैठियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है.

उससे भयभीत रोहणिया मुसलमान यूपी से पलायन करके दिल्ली,मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल,झारखंड आदि राज्यों में शिफ्ट होने लगे हैं, यह वह राज्य हैं जहां गैर भाजपा सरकारें है और जो सीएए का विरोध कर रही हैं।