कब्ज कि समस्या को दूर करने के लिए करे ये उपाय

पाइल्स का दर्द हर किसी के लिए एक जैसा नहीं होता है. रेक्टल एरिया में दर्द, खुजली, सूजन  संक्रमण की समस्या होती है. बवासीर में गुदा और कोलोरेक्टरल कैंसर की संभावना बढ़ जाती है.

मल द्वार से मस्से निकल जाते हैं जिसमें असहनीय दर्द होता है. साथ ही मलत्याग के साथ खून भी आ जाता है. ज्यादा तेल-मसाले वाली चीजें खाने, बिना तरल की सब्जी या साग खाने, शारीरिक व्यायाम का अभाव  शरीर में पानी की कमी अहम वजह हैं. इनसे सबसे पहले कब्ज की शिकायत रहती है.

लंबे समय तक इस समस्या के बने रहने से बवासीर की संभावना बढऩे लगती है. गर्भावस्था के दौरान भी बवासीर होने कि सम्भावना है. प्रसव के दौरान पैल्विक क्षेत्र में लचीलापन आने से इस पर ज्यादा दबाव पड़ता है. इसके   अतिरिक्त  दिल  और  लिवर से जुड़ी बीमारी से भी बवासीर रोग की संभावना रहती है.

रोग की चार स्टेज
पहली स्टेज में रोगी को लक्षण नहीं दिखते. ऐसे में उसे दर्द नहीं होता, खारिश होती है. दूसरी स्टेज में मल त्याग के समय मस्से बाहर आ जाते हैं. इसमें पहली स्टेज की तुलना में ज्यादा दर्द होता है. तीसरी स्टेज में स्थिति थोड़ी गंभीर हो जाती है. मस्से बाहर आते हैं और इन्हें अंदर नहीं किया जा सकता है. इसमेंं तेज दर्द, मल त्याग के साथ खून भी ज्यादा आता है. चौथी स्टेज में मस्से बाहर की ओर लटके रहते हैं. तेज दर्द, खून आने की शिकायत मरीज को होती है.

ऐसा हो खानपान
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे तुरई, टिंडा, लौकी, गाजर, मेथी, मूली, खीरा खाएं. कब्ज से राहत के लिए बथुआ खाएं. आड़ू, मौसमी, संतरा, तरबूज, खरबूजा, अमरूद खाएं. गेहूं के आटे में सोयाबीन, ज्वार, चने का आटा मिलाकर खाएं. टोंड दूध पीएं, शर्बत, शिकंजी, नींबू पानी और लस्सी लें. दिनभर में 8 गिलास पानी पीएं.