महिलाओं के लिए सरकार ने किया ये बड़ा एलान, अब मिलेगा…

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर होने का प्रयास नहीं करना चाहिए क्योंकि वो वास्तव में पुरुषों से ऊपर हैं।

 

अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि महिलाओं के युद्धबंदी होने की सूरत में उनकी बड़ी पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

हाई कोर्ट के इस आदेश को 9 साल बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 17 फरवरी को केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई है तो फिर भी केंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले को क्यों नहीं लागू किया। हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं करने का कोई कारण या औचित्य नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को दिए अपने आदेश में कहा था कि सेना में महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिया जाए। दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 में ही सेना में महिलाओं ​​के कमांडिग पदों पर स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी किया था लेकिन यह आदेश लागू नहीं किया गया।

भारतीय सैन्य सेवा में महिला अधिकारियों की शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भर्ती की जाती है। इसके बाद वे 14 साल तक सेना में नौकरी कर सकती हैं। इस अवधि के बाद उन्हें सेनानिवृत्त कर दिया जाता है। 20 साल तक नौकरी न कर पाने के कारण रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन भी नहीं दी जाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में केंद्र सरकार को सेना में महिलाओं को शीर्ष पद देने के लिए तीन माह का समय दिया था। अब पांच माह बाद सरकार की मंजूरी मिलने के बाद शॉर्ट सर्विस कमिशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों का भारतीय सेना के सभी दस हिस्सों में स्थायी कमीशन हो सकेगा।

आखिरकार गुरुवार को सेना में महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिए जाने का रास्ता साफ हो गया, क्योंकि आज आधिकारिक तौर पर रक्षा मंत्रालय की ओर से इस बावत नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया।