चीन ने भारत को दिया.. विवादित क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रचर को लेकर भारत में…

चीनी विदेश मंत्रालय से  प्रवक्ता Zhao Lijian ने कहा कि दोनों ही पक्षों को ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए जिससे स्थितियां गंभीर बनें.  चीन की तरफ से ये बयान दोनों देशों के बीच सातवें चरण की सैन्य वार्ता के ठीक एक दिन बाद आया है.

चीन के सरकारी अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक झाओ ने कहा है- ‘चीन गैरकानूनी रूप से बनाए गए संघशासित लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देता. हम विवादित क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रचर बनाने का भी विरोध करते हैं.’

गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को Border Road Organization द्वारा निर्मित 44 पुलों का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया. ये 44 पुल बीआरओ द्वारा बनाए जा रहे 102 पुलों में से हैं. ये पुल भारत के सबसे भारी युद्धक टैंकों की आवाजाही का सामना करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. एक अधिकारी ने बताया कि जिन 44 पुलों का उद्घाटन किया गया है उनमें से 30 पुल लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक वास्तविक नियंत्रण रेखा के रास्ते में पड़ते हैं. ये क्लास 70 के पुल हैं; ऐसे पुलों के लिए ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जिसके बाद वह 70 टन वाहनों के वजन को सहन कर सकते हैं.

भारत का सबसे भारी युद्धक अर्जुन टैंक लगभग 60 टन का है. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के वास्तविक नियंत्रण रेखा से पीछे न हटने के रुख को देखते हुए भारत ने लगभग 45 टन वाले टी-90 भीष्म टैंक को पूर्वी लद्दाख सेक्टर के स्थानों में स्थानांतरित कर दिया था. ये पुल कनेक्टिविटी में सुधार करेंगे और सैनिकों व सहायक तत्वों के तेजी से विकास की क्षमता देंगे जिससे कि एलएसी पर किसी भी स्थिति का जवाब देने के लिए सशस्त्र बलों की क्षमता में काफी सुधार होगा.