दिल्ली सरकार ने निकला इस बड़ी समस्या का समाधान, घोल को बनाने की…

दिल्ली में पराली की समस्या से निपटने के लिए पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा बायोडीकंपोजर घोल तैयार किया गया है। इसका पराली के डंठल पर छिड़काव किया जा रहा है। इस छिड़काव के लगभग 20 दिन बाद ये डंठल स्वयं गलकर मिट्टी में मिल जाएंगे और खाद बन जाएंगे।

इसके इस्तेमाल से लोगों को पराली जलाने की जरूरत नहीं होती है। दिल्ली में करीब 10 दिन पहले इस घोल को बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। यह घोल दिल्ली सरकार ने बनवाया है और इसके छिड़काव ट्रैक्टर और छिड़कने वालों समेत सभी इंतजाम दिल्ली सरकार ने किया है। किसान को इसके लिए कोई कीमत नहीं देने की जरूरत है।

केजरीवाल ने कहा, अगले कुछ दिनों में पूरे 800 हेक्टेयर जमीन पर घोल का छिड़काव हो जाएगा। अगली फसल बोने के लिए 20 से 25 दिन में जमीन तैयार हो जाएगी। अभी तक किसान अपने खेतों में पराली को जलाया करते थे। पराली जलाने की वजह से जमीन के उपयोगी बैक्टीरिया भी मर जाते थे। अब इस घोल का इस्तेमाल करने से किसानों को खाद का कम इस्तेमाल करना होगा और साथ ही किसानों के जमीन की उत्पादकता भी बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा, कई वर्षो से हर साल अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में पूरा उत्तर भारत प्रदूषण की वजह से दुखी हो जाता है। पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक कैप्सूल बनाया है। इस कैप्सूल की मदद से घोल तैयार किया जाता है और घोल को खेतों में खड़े पराली के डंठल पर छिड़क देने के कुछ दिनों बाद वह गलकर खाद में बदल जाता है। डंठल से बनी खाद से जमीन के अंदर उर्वरा क्षमता में वृद्धि होती है।