नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने जा रही केंद्र सरकार, विपक्ष ने कहा घटिया फैसला

केंद्र सरकार ने नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी ऐंड म्यूजियम का नाम बदलने का फैसला लिया है। अब इसे प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसायटी के तौर पर जाना जाएगा। सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है और कहा कि यह फैसला घटिया और निराश करने वाला है।

विपक्ष ने कहा कि यह सरकार इतिहास को नए सिरे से लिखना चाहती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा, ‘नाम में बदलाव करना संकीर्णता और बदले की राजनीति का नतीजा है। बीते 59 सालों से नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी वैश्विक बौद्धिकता का अहम स्थान और किताबों का खजाना रहा है।’

कांग्रेस के अलावा सीपीआई के डी. राजा ने भी सरकार पर बरसते हुए कहा कि यही तो आरएसएस का एजेंडा है, जो देश का इतिहास बदलना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत के लोग जानते हैं कि आरएसएस का देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह उनकी ओर से कोशिश है कि देश का नया इतिहास लिखा जाए और अपना अलग ही नैरेटिव गढ़ा जाए। आधुनिक भारत के निर्माण में आरएसएस का कोई योगदान नहीं था। नेहरू देश के पहले पीएम थे और उन्होंने योजना आयोग बनाने से लेकर राष्ट्रीय संस्थाओं के विकास तक में योगदान दिया था।’

जयराम रमेश ने कहा कि पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के वास्तुकार के नाम और विरासत को विकृत, तिरस्कृत और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे। यही नहीं उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वह असुरक्षा के बोझ से दबे हैं। इससे पहले तीन मूर्ति मेमोरियल का भी नाम बदला गया था और उसे प्रधानमंत्री संग्रहालय के तौर पर विकसित किया गया था। यह फैसला 2016 में लिया गया था और अब फिर से बड़े बदलाव की तैयारी है। बीते साल 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री संग्रहालय को जनता के लिए खोल दिया गया था।