रात 9 बजते ही दिल्ली में हुआ ये, लोगो ने खाली किए…

हिंसा के दौरान कई मकानों दुकानों में आग लगा दी गई थी, लेकिन दो दिन बाद गुरुवार को इस इलाके में शांति है. पुलिस अर्धसैनिक बल के जवान लगातार पेट्रोलिग कर रहे हैं.

ऐसे ही उत्तर पूर्व दिल्ली का इलाका गोकुलपुरी है, जहां सोमवार की रात को जबरदस्त हिंसा हुई थी. इस क्षेत्र का गंगा विहार मुहल्ला सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था.

दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट इलाके में हिंसा (Delhi Violence) के 4 दिनों के बाद हिंसाग्रत रहे इलाके अब रोजमर्रा के कामों में मशगूल दिखने लगे हैं.

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में हुए हिंसा में मरने वालों की संख्या में लगाता इजाफा हो रहा है। रविवार, सोमवार और मंगलवार को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 32 लोगों की मौत हुई है, जिसमें पुलिस के जवान रतनलाल और आईबी अफसर अंकित शर्मा भी शामिल हैं।

दिल्ली में भड़की हिंसा के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार पर बड़ा हमला किया. कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि अगर समय रहते दिल्ली पुलिस ने भाजपा नेता पर कार्रवाई की होती तो दिल्ली में आज इतनी बड़ी हिंसा नहीं होती.

सोनिया गांधी ने इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया और कहा कि वाजपेयी जी के समय में जब कभी भी ऐसा होता था तो वे सभी पार्टियों को बुलाकर बात करते थे, लेकिन मोदी सरकार में ऐसा कभी नहीं किया.

दिल्ली हिंसा पर कांग्रेस संसदीय कमेटी की आपात बैठक बुलाई गई थी. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पिछले रविवार से जिस तरह से दिल्ली का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है वह एक सोची समझी साजिश का नतीजा है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह की साजिश रची जा रही है उसी तरह की साजिश दिल्ली चुनाव के समय भी देखने को मिली थी. उन्होंने कहा कि चुनाव के समय भी भाजपा के कई नेताओं ने भड़काऊ भाषण देकर डर का माहौल पैदा करने की कोशिश की थी.

सोनिया गांधी ने कहा कि भाजपा के एक नेता ने तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था, जिसके बाद उत्तर पूर्व दिल्ली में हिंसा फैली. उन्होंने कहा कि इस नाजुक मौके पर कांग्रेस अपनी संवेदना व्यक्त करती है.

कांग्रेस ने इस हिंसा के लिए गृहमंत्री को जिम्मेदार ठहराया और उनसे इस्तीफे की मांग की. इस दौरान सोनिया गांधी ने दिल्ली सरकार पर भी हमला बोला.

उन्होंने कहा कि हिंसा को शांत करने में दिल्ली सरकार भी पूरी तरह से विफल रही है. दोनों सरकारों की विफलता के कारण ही राजधानी की ये स्थिति हुई है.

दिल्ली में हिंसा ने सत्ताइस लोगों की जानें लील हैं. मौतों की तादाद में और इजाफा हो रहा है. पुलिस और केंद्र सरकार के निकम्मेपन की वजह से दंगा फैला और न सिर्फ लोगों की जाने गईं बल्कि कइयों के घर भी जले.

दर्जनों गाड़ियों में आग लगाई गई और दुकानें में भी इस आगजनी की गवाही दे रहीं हैं. केंद्र सरकार ने अगर समय पर दखल दिया होता और पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं पर तत्काल कार्रवाई की होती तो दिल्ली तीन दिनों तक हिंसा की आग में नहीं जलती. दिल्ली के दंगों के लिए कांग्रेस और रालोसपा ने केंद्र और दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया.