बाबरी मस्जिद को लेकर दिग्विजय सिंह ने दिया बड़ा बयान, कहा इन्हें मिले सजा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का रविवार को बाबरी मस्जिद को लेकर किया गया ट्वीट चर्चाओं में आ गया.

आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाए जाने के आपराधिक मुद्दे में अप्रैल 2020 तक न्यायालय का निर्णय आ सकता है. लखनऊ में CBI की विशेष न्यायालय (अयोध्या प्रकरण) में इस मुद्दे की सुनवाई प्रतिदिन हो रही है. बीते 11 अक्टूबर को इस मुद्दे की सुनवाई में तेजी लाते हुए विशेष न्यायालय ने अभियोजन को प्रतिदिन चार गवाहों को समन जारी करने का आदेश दिया था. लिहाजा ऐसी आसार है कि दिसम्बर के अंत तक इस मुद्दे में परीक्षण की कार्यवाही पुरी हो जाए.

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने ट्वीट के जरिए कहा, ‘माननीय सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्म धरती निर्णय में बाबरी मस्जिद को तोड़ने के कृत्य को अवैध क्राइम माना है. क्या दोषियों को सजा मिल पाएगी? देखते हैं. 27 वर्ष हो गए हैं.

19 अप्रैल 2017 को उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश जारी कर इस मुद्दे की सुनवाई दो वर्ष में पूरा करने का आदेश दिया था. लेकिन, तय मियाद में सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. 19 जुलाई 2019 को विशेष न्यायालय की अर्जी पर उच्चतम न्यायालय ने यह अवधि नौ माह के लिए  बढ़ा दी. साथ ही यह आदेश भी दिया कि अगले छह महीने में गवाहों को पेश करने की कार्यवाही पूरी कर ली जाए. इस मुद्दे में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह समेत 32 लोगों के विरूद्ध CBI अपने अभियोजन के गवाहों को पेश कर रही है.

347 गवाह हो चुके पेश 
अब तक इस मुद्दे में करीब 347 गवाह पेश किए जा चुके हैं. इस समय कल्याण सिंह के मुद्दे में गवाहों को पेश किया जा रहा है. बीते 27 सितम्बर को विशेष न्यायालय ने गवर्नर पद से सेवानिवृति के बाद कल्याण सिंह पर भी इस मुद्दे में आईपीसी की धारा 120बी, 153ए, 153बी, 295, 295ए के साथ ही आईपीसी की धारा 505 के तहत आरोप तय किया था. साथ ही उनकी पत्रावली अलग भी कर दी गई थी. जबकि, 30 मई 2017 को लालकृष्ण आडवाणी समेत अन्य अभियुक्तों पर आरोप तय हुआ था.

यह है मामला 
छह दिम्सबर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के मुद्दे में कुल 49 मुकदमे दर्ज हुए थे. एक एफआईआर फैजाबाद के थाना रामजन्म धरती में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी. शेष 47 एफआईआर भिन्न-भिन्न तारीखों पर पत्रकारों और फोटोग्राफरों ने भी दर्ज कराए थे. पांच अक्टूबर, 1993 को CBI ने जाँच के बाद इस मुद्दे में कुल 49 अभियुक्तों के विरूद्ध आरोप लेटर दाखिल किया था. इनमें 17 अभियुक्तों की मृत्यु हो चुकी है.