सरकार को अयोध्या कश्मीर और तीन तलाक जैसे अहम मुद्दों पर जीत हासिल, अगले कदम पर टिकी नजरें

अब यह सवाल लाजिमी है कि अब भाजपा के राष्ट्रवादी एजेंडे में क्या होगा। अटकलों का दौर शुरू हो गया है। लेकिन यह मानकर चला जा सकता है कि भाजपा के लिए फिलहाल विकास से जुड़े अपने एजेंडे के अलावा घुसपैठियों से निपटने के लिए पूरे देश में एनआरसी लागू करने और नागरिकता कानून में संशोधनों पर ही केंद्रित रहेगी। दरअसल लंबे से समय से अयोध्या, अनुच्छेद 370 और समान नागरिक संहिता भाजपा के राजनीतिक एजेंडे में अहम रहा है।

विपक्ष दलों ने भले ही इन्हें सांप्रदायिक एजेंडा करार दिया हो, लेकिन भाजपा हमेशा इन्हें राष्ट्रवादी एजेंडे का हिस्सा बताती रही है। यहां तक कि सिटिजन एक्ट और एनआरसी को भी विपक्ष की ओर से सांप्रदायिक करार दिया जाता रहा है।

माना जा रहा है कि एनआरसी और नागरिकता कानून में संशोधन के मुद्दे भाजपा के राष्ट्रवाद के एजेंडे को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। भाजपा अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ने बार-बार साफ किया है कि देश में घुसपैठियों के लिए कोई जगह नहीं होगी और एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जाएगा। इसके साथ ही संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में नागरिकता कानून में संशोधन का विधेयक पेश किया जा सकता है। जाहिर है विपक्ष दलों के लिए एनआरसी और नागरिकता कानून में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध मजबूरी होगी।

जाहिर है विपक्षी दलों का जितना मुखर विरोध होगा, भाजपा के लिए खुद को राष्ट्रवादी साबित करना उतना ही आसान होगा। वहीं अयोध्या में राममंदिर का निर्माण, कश्मीर के पूर्ण एकीकरण और तीन तलाक पर कानून के साथ समान नागरिक संहिता को अंतिम परिणति तक पहुंचाने का श्रेय तो भाजपा के खाते में जाएगा ही।