26/11 : मुंबई पर हुए आतंकी हमले में कुछ इस तरह जान की बाज़ी लगाकर ओंबले ने पकड़ा था कसाब

26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमलों को 11 वर्ष पूरे हो गए हैं। 60 घंटे तक मुंबई का नजारा बिल्‍कुल वॉरजोन जैसा था और लग रहा था जैसे कोई युद्ध चल रहा हो। इस आतंकी हमले को पाकिस्‍तान में मौजूद आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था। हमले के समय लश्‍कर के आतंकी अजमल कसाब को मुंबई पुलिस ने जिंदा पकड़ा था। कसाब को पकड़ने में मुंबई पुलिस असिस्‍टेंट सब-इंस्‍पेक्‍टर तुकाराम ओंबले का योगदान हर किसी को याद रहेगा । कसाब को पकड़ना इतना आसान नहीं था। ओंबले को अशोक चक्र से सम्‍मानित किया गया था।

ओंबले की टीम को मिला राष्‍ट्रपति पुरस्‍कार

तुकाराम ओंबले उसी टीम का हिस्‍सा था जिसे राष्‍ट्रपति की ओर से वीरता पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था। असिस्‍टेंट इंस्‍पेक्‍टर संजय गोविलकर, तुकाराम के साथी थे। इस समय उनकी उम्र 50 वर्ष से ज्‍यादा है और वर्तमान समय में वह मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंसेज विंग (ईओडब्‍लूय) का हिस्‍सा हैं। हमले से बस पांच दिन पहले ही डीबी मार्ग पुलिस स्‍टेशन पर तैनात किया गया था। उन्‍हें आज भी याद है कि हमले वाली रात को वह अपने घर पर थे जब टीवी पर गोलियां चलने की आवाज आई। गोविलकर अपनी पत्‍नी को यह बोलकर घर से निकले थे कि उन्‍हें लौटने में देर हो जाएगी। जिस पुलिस स्‍टेशन पर उनकी तैनाती थी, उसे गिरगाम चौपाटी के करीब नाकेबंदी करने का आदेश दिया गया था। 13 लोगों की टीम के साथ गोविलकर अपने मिशन को पूरा करने के लिए निकल गए।

कसाब की बंदूक का बैरल पकड़ लिया

ओंबले ने रात करीब 12:15 मिनट पर उनके वायरलेस पर ऑर्डर आया कि वाल्‍केश्‍वर की तरफ जाने वाली एक स्‍कोडा पर नजर रखी जाए। यह गाड़ी करीब 12:30 मिनट पर वहां पर नजर आई। गोविलकर बैरीकेड से करीब 50 फीट की दूरी पर खड़े थे। जिस समय पुलिस कार के पास पहुंची तो कार ने दूसरी तरफ मौजूद डिवाइडर्स को टक्‍कर मार दी और इस पर चढ़ गई। टीम दो हिस्‍सों में बंट गई और थोड़ी ही देर बाद कार के ड्राइवर ने फायरिंग करनी शुरू कर दी। पुलिस ने इसका जवाब दिया और गोलियां ड्राइवर को लगी