राजस्थान में पहली बार ये आने से खुली प्रशासन के दावों की पोल, जानिए ऐसे…

तेज बारिश, 25 अगस्त 2017 का वो दिन शायद ही कोई भूला हो, जिस दिन करतारपुरा नाले में 25 अगस्त को कार सहित 22 वर्षीय युवक आयुष की बहने से मृत्यु हो गई थी।

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लेकिन हमारा सरकारी तंत्र उस घटना को भूल गया। इस 22 महीने में कई बड़े परिवर्तन हुए। मेयर से लेकर कलक्टर, जेडीसी, नगर निगम आयुक्त, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी, रीको के ऑफिसर बदल गए, लेकिन आयुष की मृत्यु के जिम्मेदारों पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई।

वहीं दो वर्ष पहले की राजधानी जयपुर के करतारपुरा नाले की तस्वीर जस की तस बनी हुई है। जिसने फिर जयपुर में आई बारिश के बाद आयुष के हादसे की याद दिला दी। राजधानी जयपुर के करतारपुरा नाले की रपट पर 25 अगस्त 2017 को कार सहित बहे 22 वर्षीय युवक आयुष की मृत्यु हो गई थी। बताते चलें कि करतारपुरा नालें में बहने के बाद आयुष का मृत शरीर सात दिन की कड़ी मेहनत व मशक्कत करने पर गुर्जर की थड़ी के पास मिला था।

वहीं, जिला प्रशासन की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक सुदर्शनपुरा और उसके इर्द-गिर्द की फैक्ट्रियों, औद्योगिक ईकाईयों से निकलने वाले गंदे पानी, कैमिकल, प्लास्टिक वेस्ट, सीवर का पानी अब भी नाले मे जा रहा है। वर्तमान स्थिति में नाले के आसपास रैलिंग तो लगवा दी गई, चेतावनी बोर्ड भी लगवाया गया, लेकिन सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं है। आज भी नाले की रपट से तेज बहाव से पानी बहता है। आज भी सुदर्शनपुरा व उसके इर्द-गिर्द की फैक्ट्रियों, औद्योगिक ईकाईयों से निकलने वाले गंदे पानी, कैमिकल, प्लास्टिक वेस्ट, सीवर का पानी आता है।

जबकि, लोगों की मानें तो नालों की पिछले एक-दो वर्ष में की गई सफाई में घोर लापरवाही बरती गई, अच्छा से नाले की सफाई होती तो शायद इतनी गाद वहां नहीं होती। इसके लिए कौन ऑफिसर या कर्मचारी जिम्मेदार है व उन पर क्या कार्यवाही की, इसके लिए अवगत करवाने के लिए प्राधिकरण को बोला गया है। साथ ही नगर परिषद ने नाले के दोनों छोर पर बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण, कब्जे आदि होने से नाले में आने-जाने का कोई पर्याप्त मार्ग नहीं होना। ऐसे में कब्ज़ा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की व भविष्य में क्या कार्यवाही होगी। इसके लिए अवगत करवाने के लिए कहा।

यहां तक कि प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल का बोलना है कि शहर के नालों में गंदे पानी, वेस्ट, प्लास्टिक, सीवर का पानी छोड़ा जा रहा है। विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही।ऐसी घटनाओं की पुर्नरावृति न हो इसके लिए औद्योगिक ईकाईयों पर कार्यवाही करें व भविष्य में नियम खिलाफ औद्योगिक वेस्ट को नालों में निस्तारित करवाने की प्रक्रिया पर रोक लगाएं।

बहरहाल, पहले तो जिला प्रशासन की पूरी रिपोर्ट में सरकारी सिस्टम पर सवाल जरूर खड़े किए। घटना के 22 माह बीतने के बाद भी कोई सबक नहीं लिया। हादसे ने कई विभागों के अधिकारियों की लापरवाही का नमूना उजागर कर दिया। अब इसे अधिकारियों की उदासीनता कहें या मिलीभगत, कारण कुछ भी हो। लेकिन आज फिर हुई प्री-मॉनसून की बारिश ने आयुष का एक्सीडेंट फिर से जहन में उभर आया।