भारत और चीन के बीच हो सकता है ये, 11 घंटे से ज्यादा समय तक…

पूर्वी लद्दाख में पहली बार पिछले साल 5 मई को दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव हुआ था. उसके बाद से भारी ठंड के इस मौसम में पूर्वी लद्दाख में भारत ने सभी अहम बिंदुओं पर 50 हजार से अधिक जवानों को तैनात कर रखा है. ये जवान किसी भी हालात का सामना करने के लिए हर वक्त तैयार हैं. चीन ने भी अपनी तरफ इतने ही सैनिकों की तैनाती की है.

इससे पहले, 6 नवंबर को हुई आठवें दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने टकराव वाले खास स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर व्यापक चर्चा की थी. आठवें दौर की बैठक में दोनों पक्ष दोनों देशों के नेताओं द्वारा संपन्न महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने, सेना के संयम बनाए रखने और गलतफहमी से बचने पर सहमत हुए थे.

इसके साथ दोनों पक्ष इस बार की वार्ता के आधार पर सैन्य और राजनयिक संपर्क रखकर अन्य समस्याओं का समाधान करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर भी सहमत हुए थे.

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर गतिरोध (India-China Faceoff) जारी है. इस बीच करीब ढाई महीने के बाद दोनों सेनाओं में रविवार को नौवें दौर की बातचीत हुई.

11 घंटे से ज्यादा समय तक चली मीटिंग में भारत ने एक बार फिर साफ कर दिया कि चीन को पूरी तरह से पीछे हटना ही पड़ेगा और यहां पर तनाव कम करने की पूरी जिम्मेदारी चीन पर ही है.

कोर कमांडर स्तर की इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य पूर्वी लद्दाख (Ladakh Border Issue) में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ना था.

बता दें कि गतिरोध के हल के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की मीटिंग में कोई ठोस नतीजा हाथ नहीं लगा है. जानकारी के मुताबिक, यह बैठक पूर्वी लद्दाख में चीन की ओर मोल्डो सीमावर्ती क्षेत्र (Chushul-Moldo Border Personnel Meeting) में रविवार सुबह 10 बजे शुरू हुई. इसमें भारतीय का नेतृत्व लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया.

सूत्रों ने बताया कि भारत ने एक बार फिर जोर देकर कहा कि एलएसी पर टकराव के सभी बिंदुओं से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया दोनों तरफ से एक साथ शुरू होनी चाहिए. कोई भी एकतरफा दृष्टिकोण उसे स्वीकार नहीं है. मीटिंग में भारत की ओर से कहा गया है कि एलएसी पर अप्रैल, 2020 से पहले की स्थिति बहाल हो.