भाजपा और PM मोदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी, प्रियंका गांधी

पिछले लोकसभा चुनाव में जिस तरह से नरेंद्र मोदी की एंट्री हुई थी वह भाजपा के लिए काफी जबरदस्त साबित हुई और पार्टी को बेहतरीन जीत हासिल हुई थी। कुछ इसी तरह से इस बार प्रियंका गांधी ने आधिकारिक रूप से इस बार के चुनाव से पहले राजनीति में एंट्री की है ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका आगामी चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा। इससे पहले प्रियंका गांधी बतौर मेहमान अमेठी और रायबरेली जाती थीं लेकिन अब वह राजनेता के तौर पर यहां जाएंगी।

सही समय पर प्रियंका की एंट्री
प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी की कमान सौंपी गई है, साथ ही उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया था। इससे पहले राहुल गांधी और राजीव गांधी भी राजनीति में आने के बाद इस पद पर रह चुके हैं। प्रियंका गांधी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं और आगामी लोकसभा चुनाव प्रचार में उनकी काफी मांग रहेगी। ऐसे में प्रियंका गांधी ना सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश में पार्टी के लिए अहम भूमिका निभा सकती हैं। गौर करने वाली बात यह है कि प्रियंका गांधी की एंट्री ऐसे वक्त हुई है जब कांग्रेस की स्थिति 2014 जैसी नहीं है, पार्टी ने राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है और अब राहुल गांधी को पप्पू के तौर पर नहीं जाना जाता। यही नहीं 2014 में जहां नरेंद्र मोदी काफी आक्रामक मुद्रा में थे तो अब वह बचाव की मुद्रा में नजर आते हैं। ऐसे में प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री ना सिर्फ कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकती है बल्कि भाजपा के लिए नई चुनौती भी बन सकती हैं।

लोगों में काफी लोकप्रिय
राहुल गांधी की तुलना में प्रियंका गांधी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं और लोगों में उनको लेकर हमेशा से ही उत्साह रहा है। लोग उनके बारे में जानने के लिए हमेशा से ही उत्सुक रहते हैं। प्रियंका लोगों की भीड़ बटोरने में भी सफल रहती हैं लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि क्या राजनीति में उनकी एंट्री के बाद भीड़ कांग्रेस के लिए वोट में तब्दील होता है नहीं। प्रियंका के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जो लोग राहुल गांधी को गंभीरता से नहीं लेते हैं क्या वह उन्हें कांग्रेस की ओर खींच पाती हैं

राहुल को दे सकती हैं बेबाक सलाह
प्रियंका गांधी को राहुल गांधी का भरोसेमंद साथी माना जाता है, वह मौके-मौके पर राहुल गांधी को सलाह देती रहती है। रिपोर्ट के अनुसार एक टीवी इंटरव्यू के दौरान प्रियंका ने राहुल गांधी को काफी मदद की थी। प्रियंका गांधी राहुल गांधी को सही सलाह देने में भी काफी अहम भूमिका निभा सकती हैं। मुमकिन है कि पार्टी के अन्य नेता उन्हें बेबाक सलाह ना दे पाएं लेकिन प्रियंका गांधी बिना किसी संकोच उन्हें बेहतर राय दे सकती हैं।

चुनाव प्रचार में मदद
पिछले कुछ सालों में सोनिया गांधी के स्वास्थ्य में गिरावट देखने को मिली है और वह पहले की तरह सक्रिय राजनीति में नहीं हैं। ऐसे में राहुल गांधी और प्रियंका गा्ंधी चुनाव में प्रचार की जिम्मेदारी को आपस में बांट सकते हैं। समय के चलते जिन जगहों पर राहुल नहीं पहुंच सकते हैं वहां प्रियंका उनकी कमी को पूरा कर सकती हैं। देश के ग्रामीण इलाकों में इंदिरा गांधी काफी लोकप्रिय थीं और उन्हें लोग इंदिरा अम्मा कहते थे, ऐसे में प्रियंका गांधी ग्रामीण इलाकों में काफी कारगर साबित हो सकती हैं। प्रियंका के राजनीति में आने के ऐलान के बाद से ही लोग प्रियंका और इंदिरा की तस्वीर को एक साथ साझा कर रहे हैं और उन्हें इंदिरा की छवि वाला नेता बता रहे हैं।

पूर्वी यूपी में सवर्ण वोट का मिलेगा फायदा
पूर्वी यूपी में सवर्ण वोटर काफी अहम भूमिका निभाते हैं, यही वजह है कि भाजपा को यहां जबरदस्त सफलता मिली थी। मंडल और अयोध्या से पहले लोग यहां कांग्रेस के समर्थक थे। सीएसडीएस सर्वे के अनुसार यहां 72 फीसदी ब्राह्मण, 77 फीसदी राजपूत, 71 फीसदी वैश्य और 79 फीसदी अन्य सवर्ण जाति के लोगों ने भाजपा को वोट दिया था लेकिन एससी/एसटी एक्ट पर भाजपा के रुख से लोग नाराज हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में सवर्ण सपा-बसपा को वोट देने से बचेगा, लिहाजा कांग्रेस उनके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।

राहुल के लिए नहीं हैं चुनौती
हालांकि एक तबका ऐसा भी है जो यह मानता है कि प्रियंका के राजनीति में आने से राहुल गांधी के लिए राजनीतिक भविष्य को चुनौती मिलेगी। लेकिन वह शायद यह भूल जाते हैं कि राहुल और प्रियंका के बीच काफी अच्छे संबंध हैं। बहरहाल मौजूदा समय में कांग्रेस इस बात पर ज्यादा ध्यान देगी कि कैसे आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी की फिर से वापसी हो बजाए इसके कि भविष्य में क्या होगा। जिस तरह से प्रियंका की राजनीति में एंट्री हुई है वह निसंदेह कांग्रेस के लिए काफी कारगर साबित हो सकती हैं।