आपकी जानकारी के लिए बता दें, 1 से 7 सितंबर तक हर वर्ष राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (Malnutrition in kids) मनाया जाता है। इसमें पोषण संबंधी जरूरतों पर बात की जाती है। आज के समय में खान पान में बहुत ज्यादा परिवर्तन आ गया है व इसी कारण बच्चों को भी वो पोषण नहीं मिल पाता जो उनकी शरीर के लिए जरुरी होता है। स्वास्थ्य वर्धकदिखने वाले बच्चों में भी अब पोषण की कमी होने लगी है। आज हम इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।
लंबाई
पोषण में कमी का सबसे सामान्य लक्षण लंबाई में कमी रह जाना है। हालांकि अभी तक यह माना जाता था कि लंबाई आनुवांशिक होती है। यानी अगर मां-बाप लंबे होंगे तो ही बच्चे भी लंबे हो पाएंगे। पर अब वैज्ञानिक मान रहे हैं कि बच्चे की लंबाई में पोषण का अहम सहयोग होता है।
बेरीबेरी
यह बीमारी विटामिन बी-1 की कमी से होती है। यह बच्चे की मांसपेशियों, दिल व पाचन शक्ति आदि को प्रभावित करती है। बेरीबेरी के 2 प्रकार होते हैं। पहला आर्द्र (वेट) बेरीबेरी वदूसरा शुष्क (ड्राई) बेरीबेरी। आर्द्र बेरीबेरी हार्ट को प्रभावित करता है, जबकि शुष्क बेरीबेरी नर्व को निर्बल करता है।
घेंघा
पोषण की कमी से कई बच्चों में घेंघा की समस्या भी सामने आती है। घेंघा यानि गोइटर रोग की स्थिति में गले में असामान्य सूजन हो जाती है। यह स्थिति थायरॉइड ग्रंथि से जुड़ी होती है। जब थायरॉइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है, तो उसे घेंघा के नाम से जानते हैं। सूजन की वजह से सांस लेने में समस्या होती है। हालांकि यह समस्या बच्चों को बहुत कम आती है।
स्कर्वी
यह रोग खाने में विटामिन-सी की कमी से होता है। विटामिन-सी की कमी होने से शरीर में रक्त की कमी हो जाती है व बच्चा स्कर्वी का शिकार हो जाता है। इससे सबसे ज्यादा गर्भ में पल रहा शिशु प्रभावित होता है। डॉक्टरों के अनुसार महिला में विटामिन-सी की कमी रहने से पेट में पल रहे शिशु का दिमाग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है। इसके अतिरिक्त कई बार इस बीमारी की वजह से छोटे बच्चों के शरीर में सूजन आ जाती है।
रिकेट्स
इस बीमारी में बच्चों की हड्डियां मुलायम हो जाती हैं। कई बार हड्डियां इतनी निर्बल हो जाती हैं कि साधारण दबाव से टूट भी जाती हैं। यह बीमारी विटामिन-डी की कमी से होती है। दरअसल विटामिन-डी हड्डियों में कैल्शियम व फास्फोरस को अवशोषित करता है।ऐसे में विटामिन-डी की कमी होने पर शरीर में विटामिन-सी व फास्फोरस की कमी हो जाती है। 3 से 36 महीने तक के बच्चों में इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा रहती है।
पिलाग्रा
इस बीमारी की वजह शरीर में विटामिन बी3 की कमी है। यह बीमारी पाचन क्रिया, स्कीनव नर्व को प्रभावित करती है। हरी सब्जियां न खाने वाले बच्चों को इस बीमारी के होने का ज्यादा भय रहता है। इससे उनमें सामान्य बच्चों की तुलना में त्वचा में एक अलग किस्म की डलनैस दिखने लगती है।
वजन
पूरा पोषण न मिलने वाले बच्चों में वजन दो तरह से इफैक्ट करता है। या तो वे बहुत ज्यादा दुबले-पतले होते हैं या कभी-कभी उनक वजन इतना ज्यादा होता है कि वे अपने डेली रूटीन के कार्य भी अच्छा से नहीं कर पाते। दोनों ही लक्षण पोषण की कमी के हैं।