बीरभूम के बाहुबली को अब भाजपा ने भी आजमाना शुर कर दिया है। कोलकाता में भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने अनुब्रत मंडल के ढोल, खंजनी वाले मॉडल को अपनाया जिसमें की कोलकाता के शहीद मीनार में कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में दूसरे अन्य समर्थकों के साथ उत्साहित होके मंच पर ढोल, खंजनी, मंजीरे बजाते दिखे व ईश्वर राम के भजन भी गाए। ये नजारा थोड़ा अद्भुत था क्यूंकी इससे पहले भाजपा नेता इतने उत्साहित नहीं दिखे थे की मंच पर ढोल बजाना प्रारम्भ कर दें।
अब सवाल ये है की क्या भाजपा वाकई या सिर्फ बीरभूम के बाहुबली नेता अनुब्रत मंडल को चिढ़ाने के लिए उन्होंने इस प्रोग्राम को अंजाम दिया। आपकी जानकारी के लिए बताते चलेंकि बहुत पहले से चली आ रही है। जब भी भाजपा ने प्रयास की- कि रथयात्रा निकालेंगे तब-तब तृणमूल कांग्रेस पार्टी उनके रास्ते में पहाड़ बन कर खड़ी हो गई। शब्दों के वार के साथ-साथ मामला हाई कोर्ट, सुप्रीम न्यायालय तक भी जा पंहुचा लेकिन पराजय भाजपा की ही हुई।
हाई न्यायालय से लेकर सुप्रीम न्यायालय तक भाजपा को निराशा ही हाथ लगी। उधर बीरभूम के सबसे फायर बिग्रेड को एक चैलेंज के तौर पर ले लिया था व ठान ली थी कि भाजपा के इस रथयात्रा के पहिये को पंक्चर करना ही होगा। अनुब्रत मंडल ने भी पूरी तैयारी कर ली थी व अपने जिले के कार्यकर्ताओं के लिए करीब करोड़ो रुपये खर्च करके ढोल, मंजीरे खरीदवाए व ऐलान किया की जब-जब व जिस रास्ते से भाजपा की रथयात्रा निकलेगी तब-तब तृणमूल पवित्र यात्रा निकालेगी व उस स्थान की शुद्धिकरण करेगी। जिसके चलते अनुब्रत मंडल भी अब भाजपा के निशाने पर तो हैं, अन्यथा आकस्मित से भाजपा नेता में क्यों ढोल, मंजीरा बजाएंगे।
बीजेपी ने अब रथयात्रा की स्थान भाजपा ने करने का निर्णय किया जिसमे भाजपा के बड़े बड़े नेता अब सभाएं कर रहे है। भाजपा ने इस बार पश्चिम बंगाल को अपने निशाने पर ले लिया है व कहना गलत नहीं होगा की धीरे-धीरे भाजपा बंगाल में अपनी जड़े मज़बूत भी कर रही है। अमित शाह ने तबियत बेकार होने के बावजूद बंगाल के मालदा व झारग्राम में दो सभाएं की बाकि सभाओ की जिम्मेदारी स्मृति ईरानी को दी गई है। इन सभाओं में भीड़ भी अच्छी खासी देखी गई है।