पंचायत चुनाव को लेकर सामने आई ये बड़ी खबर, सरकार ने किया ये बड़ा बदलाव

चुनाव जीतने के लिए जाति धर्म पर वोट मांगने वाली नीति का इस्तेमाल करना भी इस बार दावेदारों पर भारी पड़ सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग में उसके लिए भी सख्ती दिखाते हुए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं।

 

आयोग के मुताबिक, चुनाव प्रचार के दौरान कोई भी प्रत्याशी जाति और धर्म के नाम पर वोट नहीं मांग सकता है। इसके साथ ही चुनाव प्रचार के दौरान दूसरे प्रत्याशी पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से आरोपी प्रत्याशी की दावेदारी खतरे में पड़ सकती है।

गाइडलाइंस में किसी मतदाता को मतदान करने, उसे मतदान करने से रोकने अथवा उसे मतदान के लिए लालच देने पर भी पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। ऐसे मामले से जुड़ी शिकायत आने पर आयोग प्रत्याशी पर दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है।

इसके साथ ही प्रत्याशी की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान लिखित या मौखिक रूप से प्रयोग किए जाने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर भी रोक लगा दी गई है। किसी दावेदार की ओर से ऐसा करने पर राज्य निर्वाचन आयोग कड़ी कार्रवाई कर सकता है।

उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इसी के चलते पंचायती चुनाव की सूची में दर्ज होने वाले दावेदारों की ओर से हमेशा से होने वाली गड़बड़ियों को ध्यान में रखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग इस बार सख्ती का रुख अपनाने जा रहा है।

उत्‍तर प्रदेश निर्वाचन आयोग ने पंचायती चुनाव में कदम रखने वाले सभी दावेदारों के लिए गाइडलाइन जारी कर दी हैं। आयोग की तरफ से जारी गाइडलाइंस का पालन ना करना दावेदारों पर भारी पड़ सकता है।

उत्तर प्रदेश निर्वाचन आयोग की ओर से त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव के लिए जारी की गई गाइडलाइंस की तरफ यदि ध्यान दें तो इस बार पंचायती चुनाव का प्रत्याशी किसी भी पूर्व या वर्तमान सांसद/विधायक, पूर्व या वर्तमान मंत्री, ब्लॉक प्रमुख आदि को अपना एजेंट नहीं बना सकता है।

इसके साथ ही अपने चुनाव प्रचार के लिए सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार लगाने पर भी रोक लगा दी गई है। आयोग की तरफ से जारी नियमों के अनुसार, प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार में आयोग की अनुमति लिए बगैर किसी भी वाहन का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।