दिल्ली में हिंसा के बाद किसानों ने शुरू किया ये, अब सरकार को माननी होगी पूरी बात , वरना…

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में दरारें दिखने के बीच बुधवार को किसान संगठनों ने एक फरवरी का प्रस्तावित संसद मार्च रद्द कर दिया। उसी दिन संसद में बजट पेश किया जाना है। किसान संगठनों का यह फैसला राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर परेड के दौरान भारी हिंसा के एक दिन बाद आया है।

एक दिन पहले हुयी हिंसा में करीब 400 पुलिस कर्मी घायल हो गए थे। किसान नेताओं ने हालांकि आरोप लगाया है कि मंगलवार की घटनाओं के पीछे एक साजिश थी और उन्होंने इस संबंध में जांच कराए जाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन चलता रहेगा और 30 जनवरी को देश भर में जनसभाएं और भूख हड़ताल की जाएंगी।

रेवाड़ी के एसपी अभिषेक जोरवाल ने बताया, “प्रदर्शनकारियों ने मसानी कट विरोध स्थल को खाली कर दिया है और उनमें से कुछ टीकरी चले गए हैं, जबकि कुछ जय सिंहपुरा खेड़ा गांव हरियाणा-राजस्थान सीमा पर राजस्थान में) गए हैं।

कई अन्य लोग घर लौट गए हैं।’ उन्होंने कहा कि पिछले कई हफ्तों से राज्य में राजमार्गों पर कई टोल प्लाजा के पास घेराबंदी कर रहे किसानों ने शाम तक विरोध स्थलों को खाली कर दिया ।

जानकारी के मुताबिक लाल किले पर हुई हिंसा के बाद हरियाणा में विरोध कर रहे किसान बुधवार को अपना समर्थन खोते दिखे। रेवाड़ी जिले में कम से कम 15 गांवों की एक पंचायत ने बुधवार को तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर डेरा डाले किसानों से 24 घंटे के भीतर सड़क खाली करने को कहा।

पुलिस ने बताया कि तीन जनवरी से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर रेवाड़ी में मसानी बैराज कट के पास धरना दे रहे किसानों ने बुधवार शाम तक वह स्थान खाली कर दिया।

गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद ऐसा लगाता है कि इस आंदोलन में शामिल किसान नेता अपना जनसमर्थन खो रहे हैं।

ताजा जानकारी के मुताबिक हरियाणा के रेवाड़ी जिले में कम से कम 15 गांवों की एक पंचायत ने बुधवार को तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर डेरा डाले किसानों से 24 घंटे के भीतर सड़क खाली करने को कहा। इस बीच अन्य जगहों पर भी धरना-प्रदर्शन में शामिल किसानों के वापस घर लौटने की खबर है।