तो क्या 22 मार्च को पीएम मोदी जनता कर्फ़्यू की आड़ में देशवासियों के लिए करने वाले है कुछ बड़ा…

तो क्या एक दिन का जनता कर्फ़्यू लगा कर प्रधानमंत्री मोदी आने वाले दिनों के लिए कितना तैयार हैं उसका ज़ायज़ा लेना चाहते हैं?प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा, “इस रविवार, यानी 22 मार्च को, सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक, सभी देशवासियों को, जनता-कर्फ़्यू का पालन करना है. ज़रूरी ना हो तो घरों से बाहर ना निकले. हमारा ये प्रयास, हमारे आत्म-संयम, देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का एक प्रतीक होगा. 22 मार्च को जनता-कर्फ़्यू की सफलता, इसके अनुभव, हमें आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार करेंगे.”

इस सवाल के जवाब में डॉक्टर पीसी भटनागर कहते हैं, “जनता कर्फ़्यू एक बॉटम डाउन एप्रोच है. इसका मतलब ये कि जनता इसकी मालिक है और ये उन्हीं से शुरू होगा.”

प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने भाषण में कहा, “ये है जनता-कर्फ़्यू, यानी जनता के लिए, जनता द्वारा ख़ुद पर लगाया गया कर्फ़्यू.”

प्रधानमंत्री के संदेश में ये बात छिपी है कि इस बीमारी से सरकार अकेले नहीं निपट सकती जब तक जनता उनका साथ ना दे. कोरोना से लड़ने की कोशिश में उन्हें जनता की भागीदारी चाहिए.

अभी सरकार ने ये नहीं कहा है कि जनता को इसका पालन करना ही है. अभी ऐसी कोई बाध्यता नहीं है. ना ही सरकार ने ये कहा है कि ऐसा न करने वालों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई की जाएगी. जनता कर्फ़्यू की सफलता एक तरह का अंदाज़ा देगी कि आने वाले दिनों के लिए हमारी तैयारी कैसी है, कितनी है, और भविष्य में किसी आपात स्थिति के लिए हम कितने तैयार हैं.

लॉकडाउन की स्थिति इससे अलग होती है. डॉक्टर भटनागर के मुताबिक़ लॉकडाउन एक टॉप डाउन एप्रोच है यानी इसका फ़रमान सरकार की तरफ से जारी किया जाएगा और इसका पालन सख़्ती से हो ये सुनिश्चित करने के लिए सरकार दिशा-निर्देश भी जारी कर सकती है, क़ानून का सहारा भी ले सकती है. जैसा हमने इटली और चीन में देखा.