निर्भया के चारो दोषियों ने आखिर दम तक कुछ इस तरह की खुद को बचने की कोशिश, फांसी कोठी में किया ये…

निर्भया के गुनहगारों को फांसी मिल ही गई, ऐसे में देशभर में लोग ख़ुशी का इज़हार कर रहे हैं. आपको बता दें कि ऐसे में आखिरकार 7 साल बाद निर्भया को न्याय मिल गया। 20 मार्च 2020, सुबह 5.30 के तय वक्त पर चारों दोषियों को फांसी हो गई। फांसी से पहले का आधा घंटा काफी महत्वपूर्ण रहा। इस दौरान दोषियों ने खुद को बचाने की कोशिश की।

वहीं इस दौरान चारों दोषी खूब रोए, फांसी घर में लेट तक गए। लेकिन आखिरकार वह न्याय हुआ जिसका देश लंबे वक्त से इंतजार कर रहा था। वहीँ इस मामले जेल के अधिकारियों के मुताबिक चारों कातिलों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया। इसके लिए जेल नंबर-3 की फांसी कोठी में फांसी के दो तख्तों पर चारों को लटकाने के लिए चार हैंगर बनाए गए थे।

आपको बता दें कि इनमें से एक का लीवर मेरठ से आए जल्लाद पवन ने खींचा और दूसरे का लीवर जेल स्टाफ ने। चारों को फांसी देने के लिए 60 हजार रुपये का जो मेहनताना तय किया गया था, वह पूरा जल्लाद को ही मिलेगा। वहीं शुक्रवार तड़के 3.15 पर चारों को इनके सेल से उठा लिया गया, हालांकि, चारों में से कोई भी सोया नहीं था। इसके बाद सुबह की जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद इनसे नहाने को कहा गया।

वहीँ इसके बाद इनके लिए चाय मंगाई गई, लेकिन किसी ने चाय नहीं पी। इसके बाद चारो से फिर आखिरी इच्छा पूछी गई। फिर सेल से बाहर लाने से पहले इन चारों को काला कुर्ता-पजामा पहनाया गया। चारों के हाथ पीछे की ओर बांध दिए गए। इस दौरान दो दोषी हाथ बंधवाने से इनकार कर रहे थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई।