जौनपुर लोकसभा सीट का इतिहास

उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट के बारे में से भारतीय जनता पार्टी के नेता कृष्ण प्रताप उर्फ़ के.पी. सांसद है। साल 2014 में उन्होंने ये सीट बसपा के दिग्गज नेता धनंजय सिंह को हराकर अपने नाम की थी। यूपी का जौनपुर शहर हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है, यहां के जामा मस्जिद, शाही किला और शाही ब्रिज को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में सैलानी आते हैं, विश्वविद्यालय और अपनी विशेष ‘इमरती’ मिठाई के लिए मशहूर जौनपुर की औसत साक्षरता दर 60.78% है, इस लोकसभा सीट के अंतरगत विधानसभा की पांच सीटें आती है, जिनके नाम हैं बदलापुर, शाहगंज, जौनपुर, मल्हनी और मुंगरा बादशाहपुर।

जौनपुर लोकसभा सीट का इतिहास

किवदंतियों में ऐसा कहा जाता है की इस शहर का नाम विष्णु के छठे अवतार परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि के नाम पर रखा गया है, जौनपुर की औसत साक्षरता दर 60.78% है जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 70.5% और महिलाओं की साक्षरता दर 51.29% है, यहां 1952 और 1957 में हुए आमचुनावों में कांग्रेस के बीरबल सिंह ने जीत दर्ज की थी, 1962 में जनसंघ के ब्रह्मजीत सिंह ने यहां की सीट पर कब्ज़ा किया था, 1962 से 1971 तक राजदेव सिंह कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए। 1977 में भारतीय लोकदल, 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर और 1984 में कांग्रेस यहां से विजयी हुए, 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर बाजी मारी, 1991 में अर्जुन सिंह यादव ने जनता दल को जौनपुर में पहली जीत दिलाई, 1996 में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर दोबारा कब्ज़ा किया। 1998 में समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव जौनपुर से जीतकर लोकसभा पहुंचे, 1999 में भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी से एक साल पहले हुई अपनी हार का बदला ले लिया, साल 2004 में यहां सपा ने अपना परचम लहराया लेकिन 2009 में बसपा के दिग्गज धनंजय सिंह ने सपा से ये सीट छीन ली लेकिन साल 2014 में इस सीट पर भगवा फहराया और कृष्ण प्रताप उर्फ़ के.पी यहां से सांसद बने।

कृष्ण प्रताप का लोकसभा में प्रदर्शन-

कृष्ण प्रताप उर्फ़ के.पी सोलहवीं लोकसभा में खाद-रसायन सम्बन्धी मामलों की स्थाई समिति के सदस्य भी हैं। कृष्ण प्रताप उर्फ़ के.पी की पिछले पांच सालों के दौरान लोकसभा में उपस्थिति 93 प्रतिशत रही। इस दौरान उन्होंने मात्र 5 डिबेट में हिस्सा लिया है और 112 प्रश्न पूछे हैं, साल 2014 के चुनाव के दौरान इस सीट पर बसपा दूसरे, सपा तीसरे और IND चौथे नंबर पर थी। यूपी के चर्चित शहरों में से एक जौनपुर की 88 प्रतिशत आबादी हिंदू और 10 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है, साल 2014 के चुनाव में 1848842 वोटरों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 54 प्रतिशत पुरुष और 45 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं।

कृष्ण प्रताप उर्फ़ के.पी ने भले ही जौनपुर में जीत हासिल की थी लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि पिछली बार उनकी जीत में मोदी लहर का भी बड़ा हाथ था जबकि बसपा की हार के पीछे उसकी अपनी गलतियां और रणनीतियां थी, जनता में उसके प्रति नाराजगी भी थी लेकिन इस बार इस सीट पर भाजपा की जीत काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करेगी कि यहां उसके विकास के कार्य से जनता कितनी संतुष्ट है, यही नहीं यहां की जीत और हार में सीएम योगी फैक्टर भी शामिल होगा क्योंकि इस वक्त प्रदेश में भाजपा की ही सरकार है, तो वहीं विपक्षी दलों की भी पूरी कोशिश यहां जीतने की होगी लेकिन इस खेल में बाजी उसी के हाथ लगेगी जिसे जनता का प्यार और साथ मिलेगा, फिलहाल उम्मीद की जा सकती है कि इस बार इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होगा।