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‘चाय बेचने वाले गुरु’ के नाम से पहचाने वाले देवरापल्ली प्रकाशराव चाय बिक्री से मिलने वाली धनराशि झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर लगा रहे हैं। मात्र सात वर्ष की आयु से ही काम कर रहे व सीने के लकवा से ग्रस्त राव ने कटक में ‘आशा ओ आश्वासन’ नामक विद्यालय स्थापित करने व उसे चलाने में अपनी कमाई का आधा भाग खर्च कर दिया।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की ‘किसान चाची’ को पद्म श्री से नवाजा गया है। सरैया प्रखंड के आनंदपुर ग्राम की राजकुमारी देवी पहले ‘साइकिल चाची’ व इसके बाद ‘किसान चाची’ बनीं। पहले उन्हें किसानश्री व अब पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। दरअसल, आचार व मुरब्बे की दूकान लगाने वाली राजकुमारी देवी कोई व नहीं, बल्कि बिहार की ‘किसान चाची’ हैं, जो गांव- गांव साइकिल से घूमकर स्त्रियों को उत्थान व एजुकेशन के साथ ही जैविक ढंग से खेती करने के लिए प्रेरणा देती हैं व इसके अतिरिक्त वे गांव-गांव जाकर स्त्रियों को फसल के उत्पाद के बारे में जानकारी देकर उन्हें मार्केट में बेचने के लिए भी जागरूक करती हैं।