छह बरस में बदल गई केदारपुरी की सूरत, अब दूर से नज़र आ जाता है ये…

केदारनाथ आपदा के जख्म अब वक्त के साथ भरने लगे हैं. साल 2013 की जिस आपदा ने लोगों को झकझोर कर रख दिया था. उसके जख्मों पर वहां हुए पुनर्निर्माण कार्यों ने बहुत ज्यादा हद तक मरहम लगाने का कार्य किया है.
केदारघाटी का नया स्वरूप इसका गवाह है. अब केदारपुरी बदले स्वरूप में आलौकिक नजर आ रही है. धाम को भव्य स्वरूप प्रदान करने वाले कामगार  कार्यदायी संस्थाओं के साथ बड़ा श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को जाता है. बाबा में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की आस्था ही है कि उन्होंने पुनर्निर्माण कार्यों की पर्सनलमानीटरिंग की. तकरीबन 80 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है. पूरी आसार है कि साल 2020 तक धाम का पुनर्निर्माण पूरा हो जाएगा.
आपदा के उस भयानक मंजर के छह वर्ष के बाद केदारनाथ धाम की पूरी तस्वीर बदल गई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद केदारघाटी के पुनर्निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी ली. बाबा केदार के दरबार में पहुंचने पर वहां आपदा के निशान न के बराबर हैं. आपदा के बाद का भयावह मंजर देखने वाले अब धाम को देख स्तब्ध हुए बिना नहीं रह सकते. पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले कार्यकाल में केदारनाथ पुनर्निर्माण को प्रारम्भ किया था. इस दौरान पीएम ने 20 अक्टूबर 2017 को केदारनाथ में करोडों की लागत से पांच पुनर्निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया था.कदम कदम पर बेहतर सुविधाओं के साथ ही पैदल मार्ग के प्रारंभिक बिंदु से ही भोले बाबा के धाम का दीदार होने लगता है.
मंदिर के चबूतरे का क्षेत्रफल 1500 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 4125 वर्ग मीटर कर दिया गया है. आपदा में मंदाकिनी  सरस्वती नदियों के संगम स्थल से मंदिर परिसर तक 270 मीटर की दूरी पर इकट्ठा हो गए 12 फीट मलबे को खुदाई कर हटा दिया गया है. पीएम की अपेक्षा के अनुरूप सरस्वती  मंदाकिनी के संगम से केदारनाथ मंदिर के बीच कोई भी दुकान नहीं है, जिससे मंदिर का दृश्य दूर से दिखाई देता है. सरस्वती नदी पर 470 मीटर  मंदाकिनी नदी पर 380 मीटर लंबाई में सुरक्षा दीवार बन गई है. गरुड़चट्टी से केदारनाथ धाम तक का साढे़ तीन किलोमीटर पैदल मार्ग बन चुका है. रामबाड़ा से केदारनाथ तक पूर्व में निर्मित पैदल मार्ग को लगभग तीन मीटर से बढ़ाकर 5.20 मीटर चौड़ा किया गया है.
मंदाकिनी के दाहिने तट से 200 मीटर ऊंचाई पर योग ध्यान गुफा का निर्माण हो चुका है. इसी में पीएम मोदी एक रात रुककर साधना कर चुके हैं. गुफा का निर्माण पहाड़ी शैली से किया है. ये गुफा पांच मीटर लंबी  तीन मीटर चौड़ी है. जहां पर साधना के लिए सभी महत्वपूर्ण सुविधाएं उपलब्ध हैं. गुफा की छत पर पहाड़ी पत्थर लगाए गए हैं  उसका आंगन भी इन्हीं से बनाया गया है. साधना के दौरान गुफा का दरवाजा पूरी तरह बंद रहेगा  खिड़की से ही उसे भोजन और अन्य महत्वपूर्ण सामान भिजवाया जाएगा. आपात समय के लिए गुफा में लोकल फोन की सुविधा भी उपलब्ध है.
केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी. पीएम मोदी ने 19 मई को धाम पहुंच कर समाधि निर्माण के विषय में दिशानिर्देश दिये हैं. इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी. जल्द ही योजना पर काम प्रारम्भ कर दिया जाएगा. सितंबर 2020 तक काम पूरा करने की प्रयास की जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ मंदिर परिसर और गोल चबूतरा और मंदिर परिसर और मंदिर मार्ग का विस्तार करने के साथ संगम पर गोल चबूतरा का गोल निर्माण किया जा चुका है. मंदिर परिसर के मुख्य आकर्षण में से एक अराइवल प्लाजा है, जिसका क्षेत्रफल 64 वर्गमीटर है. इसके अतिरिक्त टेंपल प्लाजा  सेंट्रल प्लाजा भी यहां आकार ले चुके हैं.
केदारनाथ धाम को अंग्रेजी वर्णमाला के ‘यू’ अक्षर के आकार की तीन दीवारों से घेरा गया है. मंदिर के दोनों ओर मंदाकिनी एवं सरस्वती नदी की धारा के समानांतर सारे परिसर को घेरते हुये बोल्डर की पहली दीवार बनी है. इसके बाद दूसरा घेरा धातु की जालियों के कवच वाली पत्थरों की दीवार का  तीसरा घेरा कंक्रीट की दीवार का है. केदारघाटी को वापस उसके स्वरूप में लाने के लिए नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के जवानों ने कर्नल अजय कोठियाल के नेतृत्व में मोर्चा संभाला  केदरानाथ में पुनर्निर्माण काम प्रारम्भ किया. सर्दियों में कड़ाके की ठंड में भी जवान  मेहनतकश निर्माण काम को तेज गति के साथ आगे बढ़ाते रहे. नतीजा है कि आज केदारपुरी पहले से कहीं भव्य नजर आ रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले ऑफिस में चार बार केदारनाथ धाम दर्शन को पहुंचे थे. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के बाबा केदार के प्रति गहरी आस्था का नतीजा है कि उन्होंने इसके पुनर्निर्माण के लिए पर्सनल रुचि दिखाई. पीएम पहली बार 3 मई 2017 को केदारनाथ गए थे, उसके बाद 20 अक्टूबर 2017  7 नवंबर 2018 को भी पीएम ने शिव साधना की थी. 19 मई 2019 को केदारनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद मोदी केदारनाथ क्षेत्र में बनी ध्यान गुफा में ध्यान किया. पीएम ने पुनर्निर्माण पर लगातार इस पर नजर बनाए रखी. पीएम वीडियो कान्फ्रेंसिंग से पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लेते रहे हैं.

केदारनाथ की भव्यता को बढ़ाने के लिए यहां पहाड़ी शैली के एक 1.10 लाख पत्थर (पठाल) लगाए गए. ये पठाल पैदल मार्ग, मंदिर परिसर  दिव्य शिला के आसपास लगाए गए हैं.मंदिर परिसर  मंदिर के अच्छा सामने पैदल मार्ग पर लगे पठालों की चमक धाम के सौंदर्य को  भी बढ़ा रही है. इसके लिए पहाड़ के अतिरिक्त राजस्थान और अन्य राज्यों से भी पत्थर तरासने वाले कारीगर केदारनाथ बुलाए गए. मंदिर के सामने बने चबूतरे पर 40 हजार  मंदिर के पीछे बनी दिव्य शिला पर दस हजार पत्थर लगाए गए हैं.