ऋचा अनिरुद्ध ने निजी जीवन और प्रोफेशनल लाइफ बारे में खुलकर की बात

मशहूर एंकर, रेडियो की सबसे खूबसूरत आवाज, पत्रकार, इवेंट एंकर, सोशल एक्टिविस्ट और संगीत प्रेमी इतनी सारी पहचान जिस एक हस्ती के साथ जुड़ी हैं, उनका नाम है- ऋचा अनिरुद्ध।

अमर उजाला के साथ खास बातचीत में ऋचा अनिरुद्ध ने निजी जीवन और प्रोफेशनल लाइफ दोनों के बारे में खुलकर बात की। अपनी बहुआयामी प्रतिभा के बारे में ऋचा कहती हैं कि जितने भी काम वह कर रही हैं, उनमें एक कॉमन बात है और वह है- ह्यूमन कनेक्ट।

रेडियो पर जैसे हम शो कर रहे हैं बिग हीरोज, हम उन लोगों से बात करते हैं जो सोशल वर्क कर रहे हैं, समाज में जाकर काम कर रहे हैं, हम सेलेब्रिटीज का इंटरव्यू नहीं करते हैं। हम आम आदमी से बात करते हैं। ऋचा अनिरुद्ध बताती हैं कि हम ऐसे लोगों को रियल हीरो मानते हैं। ‘जिंदगी लाइव’ शो में भी उन्होंने यही काम किया और अब ‘जिंदगी विद ऋचा’ के जरिए वह आम आदमी से जुड़े मुद्दों को समाज के सामने रख रही हैं।

ऋचा अनिरुद्ध का ‘जिंदगी लाइव’ शो 2007 में आईबीएन 7 पर शुरू हुआ था। वह जब न्यूज एंकर थीं, तब एक बच्चे की मौत की खबर सुनकर लाइव शो में रो पड़ी थीं। लोग उन्हें कहते कि पत्रकार हो थोड़ा टफ बनो। जब जिंदगी लाइव शो की बात आई तो उन्हें चुना गया। पहले साल जब बेस्ट टॉक शो मिला तो उन्हें काफी संतुष्टि हुई। इसके बाद लगातार शो हिट रहा। ऋचा अनिरुद्ध कहती हैं कि अब चैनल इस प्रकार के शो नहीं कर रहे हैं तो हमने यू-ट्यूब पर ‘जिंदगी विद ऋचा’ शो बनाया।

ऋचा अनिरुद्ध हमेशा से संवेदनशील पत्रकारिता के लिए जानी जाती रही हैं। अपने यू-ट्यूब शो ‘जिंदगी विद ऋचा’ में भी वह इसी काम को आगे बढ़ा रही हैं। ‘जिंदगी विद ऋचा’ की थीम कुछ इस प्रकार रखी गई है- आपबीती (लोगों की दर्द भरी कहानियां), मिसाल (प्रेरणादायक कहानियां), नायक (समाजसेवी लोगों पर आधारित), हुनरबाज़ (अनदेखे अनजाने कलाकार) और दिल से (खास लोगों से बातचीत)।

‘जिंदगी विद ऋचा’ में कई ऐसी कहानियां अब तक दिखाई जा चुकी हैं, जो बेहद प्रेरणादायक हैं, लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया में इनके नाम का जिक्र तक नहीं है। जैसे पटना के एक छोटे से गांव के अरबाज की कहानी, जो आज मुंबई आईआईटी में पढ़ा रहे हैं। अरबाज के माता-पिता अंडा बेचकर बच्चों का पेट भरते थे। उन्होंने बिना कोचिंग के मैट्रिक में पांचवां स्थान प्राप्त किया। आईआईटी में ऑल इंडिया 67वां रैंक हासिल किया।

इसी प्रकार से ‘जिंदगी विद ऋचा’ में नोएडा में ‘दादी की रसोई’ चलाने वाले अनूप खन्ना की कहानी भी दिखाई गई। एक ऐसा नायक जो मानवता की मिसाल है। ‘दादी की रसोई’ में भूखों को भरपेट खाना खिलाया जाता है। नोएडा के सेक्टर 17 में सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर 12.30 बजे से 3 बजे तक सेक्टर 29 के गंगा शॉपिंग कांप्लेक्स में ‘दादी की रसोई’ के काउंटर लगते हैं। ‘जिंदगी विद ऋचा’ में आईएएस अंसार शेख की जिंदगी के संघर्ष से भी ऋचा अनिरुद्ध ने लोगों को रू-ब-रू कराया। एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर का बेटा, जिसने 2015 यूपीएससी एग्जाम क्रैक कर दिया। ऐसी ढेरों कहानियां ‘जिंदगी विद ऋचा’ में अब तक सामने आ चुकी हैं और आगे भी आएंगी।

‘जिंदगी विद ऋचा’ के भविष्य के बारे में ऋचा अनिरुद्ध कहती हैं कि आजकल डिजिटल पर काफी लोग हैं, यह तेजी से बढ़ रहा है। डिजिटल इस समय च्वॉइस दे रहा है, जो बेहद महत्वपूर्ण है। न्यूज चैनल्स पर लोग चिल्ला रहे हैं, अब बुरा लगता है। अब टीवी पर शोज खराब बन रहे हैं। ऐसे में संवेदशील पत्रकारिता के लिए काफी गुजांइश बचती है। पत्रकारिता में सामाजिक सरोकार होना बेहद आवश्यक है, इसके बिना पत्रकारिता अधूरी है। ‘जिंदगी विद ऋचा’ में हम यही करने का प्रयास कर रहे हैं।