उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश ने दिया तगड़ा झटका, महागठबंधन में कुशवाहा के कद पर पड़ेगा असर

2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) को लेकर एनडीए (NDA) में सीटों के बंटवारे के ऐलान के बाद बिहार (Bihar) के सियासी समीकरण अब तेजी से बदल रहे हैं। एनडीए छोड़कर महागठबंधन में शामिल हुए राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने तगड़ा झटका दिया है। शुक्रवार को उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भगवान सिंह कुशवाहा अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ जेडीयू (JDU) में शामिल हो गए। जेडीयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह ने पटना स्थित कार्यालय में भगवान सिंह कुशवाहा को पार्टी की सदस्यता दिलाई।

भगवान सिंह कुशवाहा की गिनती आरएलएसपी के दिग्गज नेताओं में की जाती है। उनका जेडीयू में शामिल होना उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। उपेंद्र कुशवाही की पार्टी के दो विधायक सुधांशु शेखर और ललन पासवान पहले ही आरएलएसपी छोड़ चुके हैं। ऐसे में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का जेडीयू में जाना उपेंद्र कुशवाहा की लिए बड़ी मुश्किल साबित हो सकता है। महागठबंधन में अभी घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी पर कमजोर पड़ती पकड़ महागठबंधन में उनके कद पर भी असर डाल सकती है।

‘कुशवाहा को एनडीए छोड़ने से रोका था’

जेडीयू की सदस्यता ग्रहण करते हुए भगवान सिंह कुशवाहा ने कहा कि नीतीश सरकार में बिहार में विकास की एक अलग नींव रखी गई है। नीतीश राज में प्रदेश ने विकास के नए आयाम छुए हैं। ऐसे में वो सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मजबूती देने के लिए आरएलएसपी छोड़कर जेडीयू में शामिल हुए हैं। आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा पर हमला बोलते हुए भगवान सिंह कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने एनडीए का साथ छोड़कर ठीक नहीं किया है, पार्टी कार्यकर्ताओं में उनके फैसले से नाराजगी है। उन्होंने कहा कि हमने उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए का साथ छोड़ने से भी रोका था।

महागठबंधन में किस दल को कितनी सीटें?

आपको बता दें कि एनडीए में सीट शेयरिंग का ऐलान होने के बाद महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे की कवायद भी तेज हो गई है। चर्चा है कि बिहार की 40 लोकसभा सीटों को लेकर महागठबंधन में दो फॉर्मूलों पर विचार किया जा रहा है। इनमें से पहला फॉर्मूला, जो आरजेडी की ओर से सुझाया जा रहा है वो ये है कि महागठबंधन में सबसे बड़े दल आरजेडी को आधी यानी 20 सीटें दी जाएं और बाकी बची 20 सीटों में से कांग्रेस, आरएलएसपी, शरद यादव, हम व कम्युनिस्ट पार्टियों के बीच बंटवारा हो। दूसरे फॉर्मूले के तहत आरजेडी को केवल 18 सीटें देने पर विचार किया जा रहा है। बची हुई 22 सीटों में 8-12 कांग्रेस और बाकी सीटों पर कांग्रेस, शरद यादव, आरएलएसपी, हम व कम्युनिस्ट पार्टी चुनाव लड़ेंगी।