रिजर्व बैंक के पास इस समय है ‘आवश्यकता से अधिक आरक्षित धन’

इंडियन रिजर्व बैंक के पास ‘जरूरत से ज्यादा’ अलावा पूंजी है  विशेष समिति के इसका आकलन करने के बाद बैंक 10 खरब रुपये गवर्नमेंट को स्थानांतरित कर सकता है. पिछले सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की मीटिंग में समिति बनाने की घोषणा की गई थी.

इस हफ्ते के अंत तक समिति गठन की जा सकती है. समिति के सदस्यों के नाम रिजर्व बैंक के गवर्नर  वित्त मंत्रालय द्वारा तय किए जाएंगे. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में बोला है कि इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) को लेकर प्रस्तावित समिति 10 से 30 खरब रुपये की अलावा पूंजी का आकलन करेगी,  जो जीडीपी का 0.5-1.6 प्रतिशत है.

भारतीय रिजर्व बैंक 10 खरब रुपये रुपये स्थानांतरित कर सकता है, यह राशि 30 खरब तक हो सकती है. अगर आपदा राहत खज़ाना को छोड़ दिया जाए तो यह राशि 10 खरब रुपये होगी. आपदा राहत खज़ाना को जोड़ने पर यह राशि 30 खरब रुपये तक हो सकती है. अगर आपदा राहत खज़ाना को रिजर्व बैंक के खज़ाना का 3.5 प्रतिशत माना जाए तो हस्तांतरित होने वाली राशि करीब 10 खरब रुपये बैठेगी.

मार्च तक सरकारी बैंकों को मिलेगा 42,000 करोड़

केंद्र गवर्नमेंट मार्च, 2019 तक सरकारी बैंकों में 42,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी. इसकी अगली किस्त दिसंबर तक जारी कर दी जाएगी. गवर्नमेंट इस वर्ष की आरंभ में पांच सरकारी बैंकों पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), इलाहाबाद बैंक, भारतीय ओवरसीज बैंक, आंध्र बैंक  कॉरपोरेशन बैंक में 11,336 करोड़ रुपये डाल चुकी है.

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ ऑफिसर ने बताया कि दिसंबर के मध्य तक पुनर्पूंजीकरण (रिकैटिपलाइजेशन) योजना के तहत डाले जाने वाली रकम की अगली किस्त जारी कर देंगे. करीब 42,000 करोड़ रुपये की रकम इस वर्ष सरकारी बैंकों में डाली जाएगी. उनके मुताबिक, पीएनबी  एसबीआई जैसे बड़े सरकारी बैंकों को शायद 2018-19 में ज्यादा पूंजी की जरूरतनहीं होगी. नियामकीय स्तर बनाए रखने के लिए पीएनबी को अब तक गवर्नमेंट की ओर से दो बार पूंजी मिल चुकी है. ऑफिसर ने बोला कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बासेल-3 के नियमों के तहत पूंजी पर्याप्तता को सुनिश्चित करने के लिए लिए दी गई समय-सीमा को मार्च, 2020 तक बढ़ाए जाने के निर्णय के बाद सरकारी बैंकों को कम पूंजी की जरूरत होगी.

केंद्र गवर्नमेंट ने अक्तूबर, 2017 में सरकारी बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा की थी. इसके मुताबिक, सरकारी बैंकों को 1.35 लाख करोड़ रुपये की रकम पुनर्पूंजीकरण बांड के जरिए मिलना है, जबकि शेष 58,000 करोड़ रुपये की रकम मार्केट से जुटाई जानी है.