हिंदुस्तान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में नहीं कर पाएगा सीमित

तमाम आश्वासनों के बावजूद अप्रत्यक्ष करों  गैर-कर राजस्व में कमी के कारण हिंदुस्तान वित्त साल 2018-19 में अपने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में 3.3 प्रतिशत तक सीमित नहीं कर पाएगा.
घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बोला कि राजकोषीय घाटा व्यापक आर्थिक सेहत का निर्धारण करने वाला एक जरूरीकारक होता है, जो वित्त साल 2019 में जीडीपी के अनुपात में 3.5 प्रतिशत पर आ जाएगा. यह लगातार तीसरा साल होगा, जब राजकोषीय अंतर संख्या 3.5 प्रतिशत होगा. राजकोषीय घाटा कुल राजस्व  गवर्नमेंट के कुल व्यय का अंतर होता है, जो बजट के 6.24 लाख करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले बढ़कर 6.67 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा. फिच समूह की इस एजेंसी का कहना है कि गवर्नमेंट के वित्त पर दबाव मुख्य रूप से राजस्व के कारण उत्पन्न होता है. खासतौर पर अप्रत्यक्ष कर  गैर-कर राजस्व से.

कुल अप्रत्यक्ष कर वृद्धि महज 4.3 फीसदी

एजेंसी ने अप्रत्यक्ष कर मोर्चे पर 22,400 करोड़ रुपये के कर राजस्व की कमी की संभावना जताई है. उसके मुताबिक, जुलाई, 2017 में GST की आरंभ के बाद इसके तहत अप्रत्यक्ष कर राजस्व का एक बड़ा भाग कम हो रहा है. हालांकि, ई-वे बिल के आने से गवर्नमेंट के GST संग्रह में आ रही कमी की बहुत ज्यादा हद तक भरपाई हुई है. वित्त साल 2019 की पहली छमाही के लिए कुल अप्रत्यक्ष कर वृद्धि केवल 4.3 प्रतिशत रही, जबकि पूरे वित्त साल के लिए यह लक्ष्य 22.2 प्रतिशत था.

एजेंसी के मुताबिक, गैर-कर राजस्व 2.45 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले 16,200 करोड़ रुपये कम होने की संभावना है. यह सार्वजनिक एरिया के उद्यमों  भारतीय रिजर्व बैंक के लाभांश, संचार सेवाओं से कम प्राप्ति  कम विघटन के लिए जिम्मेदार है. भारतीय रिजर्व बैंक के मामले में बोला गया है कि केंद्रीय बैंक ने मार्च, 2018 से पहले गवर्नमेंटको वित्त साल 2018 के मुनाफे से अंतरिम लाभांश दिया था, जिस कारण लाभांश प्राप्ति में कमी आएगी. वहीं, विघटन के मामले में बोला गया है कि पहली छमाही में 80,000 करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य के मुकाबले केवल 15,247 करोड़ की प्राप्ति हुई.
एजेंसी ने आगे बोला है कि पहली छमाही में राजस्व व्यय वृद्धि बजट आंकड़ों से कम है, लेकिन खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में तेजी से बढ़ोतरी  आयुष्मान हिंदुस्तान योजना के कार्यान्वयन से दबावों का सामना करना पड़ता है. एजेंसी ने चेतावनी देते हुए बोला कि पूंजीगत व्यय को कम कर गवर्नमेंट फिर से राजस्व घाटे में कुल व्यय  प्राप्तियों में कमी के प्रतिकूल असर को कम करने की प्रयास करेगी. गवर्नमेंट बार-बार कह रही है कि वह समग्र राजकोषीय रोडमैप के तहत अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करेगी.
पिछले शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बोला था कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए केंद्र गवर्नमेंट को भारतीय रिजर्व बैंक से पैसे लेने की आवश्यकता नहीं है.वित्तीय साल के पहले छमाही के लिए यह अंतर 5.9 4 लाख करोड़ रुपये के बजट स्तर के 95 प्रतिशत तक पहुंच गया था.