3 मिनट के भीतर बा​बा रामदेव बने 250 करोड़ के मालिक, जानिए कैसे..

हरिद्वार मुख्यालय वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने पहली बार पूंजी जुटाने के लिए बॉन्ड बाजार का सहारा लिया है. ब्रिकवर्क ने इस डिबेंचर को AA की रेटिंग दी थी जो कि अच्छी मानी जाती है. इसे शेयर बाजार में सूचीबद्ध किया जाएगा. इसे गुरुवार को जारी किया गया था.

गौरतलब है कि हाल में रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील, एचडीएफसी बैंक, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा जैसी कई कंपनियों ने बॉन्ड बाजार से पैसा जुटाया है.

नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) एक ऐसा वित्तीय साधन है जो कंपनियां लॉन्ग टर्म की पूंजी जुटाने के लिए जारी करती हैं. इसकी अवधि फिक्स होती है, इसलिए यह एफडी जैसा होता है, लेकिन यह शेयर मार्केट में सूचीबद्ध होता है, इसलिए इससे बाहर निकलना यानी बेचना आसान होता है. इस पर ब्याज भी 10 फीसदी या उससे ज्यादा मिलता है. नॉन कन्वर्टिबल का मतलब यह है कि इस डिबेंचर को शेयरों में नहीं बदला जा सकता.

पतंजलि आयुर्वद ने असल में 250 करोड़ रुपये के नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) जारी किए थे. इसे निवेशकों ने हाथोहाथ लिया और 3 मिनट के भीतर ही कंपनी का यह डिबेंचर पूर्ण रूप से सब्सक्राइब्ड हो गया.

पतंजलि के प्रवक्ता एस.के. तिजारावाला ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘कोरोना महामारी के बीच आयुर्वेद आधारित उत्पादों की बिक्री में तीन गुना बढ़त हुई है. लेकिन कोरोना की वजह से मैन्युफैक्चरिंग से लेकर वितरण तक के सप्लाई चेन में अवरोध आए हैं.

बा​बा रामदेव के नेतृत्व वाले पतंजलि आयुर्वेद ने बॉन्ड मार्केट के निवेशकों से 250 करोड़ रुपये मांगे थे. कंपनी को निवेशकों से 3 मिनट के भीतर 250 करोड़ रुपये मिल गए.

उन्होंने कहा, ‘हम यह फंड इसलिए जुटा रहे हैं ताकि अपनी सप्लाई चेन को मजबूत कर सकें और मैन्युफैक्चरिंग से लेकर डिस्ट्रिब्यूशन तक की प्रक्रिया सहज हो सके.’

पतंजलि आयुर्वेद हाल के वर्षों में एफएमसीजी की प्रमुख कंपनी के तौर पर उभरी है. कंपनी ने कहा है कि गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) की परिपक्वता अवधि तीन साल होगी और इस पर 10.10 फीसदी की दर से ब्याज देय होगा.