व्यापारिक समुद्री जहाजों पर कौन कर रहा हमले, जांच में क्या मिला, भारत ने क्या कदम उठाए?

पहले अरब सागर में ‘एमवी केम प्लूटो’ पर ड्रोन हमला और लाल सागर में ‘एमवी साईं बाबा’ पर हमले के बाद भारतीय नौसेना ने सतर्कता पूरी तरह बढ़ा दी है। उधर हमलों की जांच के लिए तटरक्षक बल, नौसेना, खुफिया एजेंसियों और अन्य संबंधित अधिकारियों द्वारा एक संयुक्त टीम गठित की गई है। जानकारी के अनुसार, संयुक्त टीम सभी पहलुओं पर जांच में जुट गई है आइये जानते हैं जहाजों पर ड्रोन हमले कब और कैसे हुए? हमले के आरोप किस पर लगे हैं? घटना के बाद भारत ने क्या कदम उठाए हैं?

भारतीय जहाज पर हमला कब और कैसे हुआ?
पहला ड्रोन हमला अरब सागर में ‘एमवी केम प्लूटो’ पर हुआ। दरअसल, सऊदी अरब से मंगलोर आ रहे जहाज ‘एमवी केम प्लूटो’ पर शनिवार (23 दिसंबर) सुबह करीब 10 बजे अरब सागर में हमला किया गया था। यह हमला पोरबंदर से करीब 217 समुद्री मील की दूरी पर किया गया था। इस पर चालक दल के सदस्य के रूप में 20 भारतीय और एक वियतनामी तैनात थे। हमले के बाद एमवी प्लूटो पर आग लग गई थी जिसे बाद में बुझा दिया गया।

उधर हमले की सूचना मिलते ही भारतीय नौसेना ने जहाज की सुरक्षा के लिए एक एयरक्राफ्ट रवाना किया। साथ ही भारतीय तटरक्षक बलों के जहाज आईसीजीएस को भी टैंकर की सुरक्षा के लिए रवाना किया गया। भारतीय तटरक्षक बल के जहाज आईसीजीएस विक्रम की पहरेदारी में जहाज सोमवार को मुंबई बंदरगाह पहुंचा।

वहीं, भारतीय अधिकारियों ने रविवार को कहा कि एमवी साईं बाबा नाम का एक वाणिज्यिक तेल टैंकर दक्षिणी लाल सागर में ड्रोन हमले का शिकार हुआ। इसमें भी किसी के घायल होने या क्षति की सूचना नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि एमवी साईं बाबा जहाज पर गैबॉन का ध्वज लगा हुआ है और इसे भारतीय शिपिंग रजिस्टर से प्रमाणन प्राप्त हुआ है।

हमलों के आरोप किस पर लगे हैं?
जहाजों पर हमले उस वक्त हुए हैं, जब ईरान समर्थित गुट हूती इस्राइल-हमास युद्ध के कारण व्यापारिक समुद्री जहाजों पर हमला करने लगा है। इन हमलों की वजह से जहाजों को अपना मार्ग बदलना पड़ा है और अफ्रीका के सिरे लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है। ऐसे में लागत बढ़ने के साथ-जहाजों के लिए समय भी बढ़ गया है।

इस बीच, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने प्लूटो पर ईरान की ओर से ड्रोन हमल किए जाने की पुष्टि की है। पेंटागन के प्रवक्ता ने बयान में कहा कि जहाज पर ईरान की ओर से दागे गए एकतरफा हमले वाले ड्रोन ने आक्रामण किया था। लाइबेरिया के झंडे लगा हुआ केम प्लूटो जहाज ईरान से दागे गए ड्रोन हमले का शिकार हो गया था। बयान में यह भी कहा गया कि 2021 के बाद से वाणिज्यिक शिपिंग पर सातवां ईरानी हमला था।

वहीं, हमले के आरोपों पर ईरान ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। सोमवार को ईरान ने अमेरिका के गंभीर आरोपों को खारिज कर दिया। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका के लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं।
जांच कहां तक पहुंची? हमलों के बाद भारतीय तटरक्षक बल, नौसेना, खुफिया एजेंसियों और अन्य संबंधित एजेंसियों की ओर से संयुक्त रूप से जांच शुरू की गई है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि जहाजों पर हमले किस प्रकार किए गए। पश्चिमी नौसेना कमान का समुद्री संचालन केंद्र तटरक्षक बल और सभी संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय कर रहा है।

इस बीच नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हमले के क्षेत्र और जहाज पर पाए गए मलबे का विश्लेषण करने पर ड्रोन हमले का संकेत मिला है। हमले में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक के प्रकार और मात्रा की जांच फॉरेंसिक एवं तकनीकी टीमें करेगी।’