भारत और हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते रहते ओवैसी, PM मोदी ने दी भारत छोड़कर पाकिस्तान जाने की चेतावनी

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने अयोध्या मामले में असदुद्दीन ओवैसी की ओर से आए बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी के बयान को राष्ट्रद्रोह बताया है. उन्होंने कहा है कि ओवैसी भारत और हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं. महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि अगर ओवैसी को भारत में अच्छा नहीं लगता है तो उन्हें भारत छोड़कर पाकिस्तान चले जाना चाहिए.

मंहत नरेंद्र गिरी ने चेतावनी देते हुए कहा कि ओवैसी अक्सर हिंदुओं और साधु संतों का अपमान करते हैं. ओवैसी अगर इस तरह की भाषा का दोबारा इस्तेमाल करेंगे तो साधु संत समाज और अखाड़ा परिषद इसे बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि अगर ओवैसी को भारत में रहना है तो भारत के संविधान और न्यायपालिका के आदेश का पालन और सम्मान करना होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि भारत में रहकर अगर भारत के खिलाफ ओवैसी बयानबाजी करेंगे तो संत समाज उन्हें इसका मुंहतोड़ जवाब देगा.

उन्होंने कहा है भारतीय जनता पार्टी हमेशा राम मंदिर बनवाने के पक्ष में थी. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में ही यह कार्य हुआ है. दोनों यह चाहते थे कि न्यायपालिका के आदेश का सम्मान करते हुए अगर मंदिर का निर्माण हो तो यह सबसे अच्छा रहेगा. महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं, ऐसे में अगर मंदिर निर्माण को जबरदस्ती करते और इसमें भेदभाव होता तो सामाजिक समरसता नहीं रहती और सांप्रदायिक सौहार्द भी बिगड़ता.

क्या कहा था असदुद्दीन ओवैसी ने

दरअसल, अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सांसद असदुद्दीन ओवैसी संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा,भारत के मुस्लिम को खैरात की जरूरत नहीं है. हमें संविधान पर पूरा भरोसा है, हम अपने कानूनी हक की लड़ाई लड़ रहे थे. हमें जमीन के प्रस्ताव को ठुकरा देना चाहिए.औवैसी ने कहा,मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकीलों ने भी कहा कि वे इस फैसले से सहमत नहीं हैं. हम मस्जिद के लिए जमीन खरीद सकते हैं.ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस ने भी आज अपना असली रंग दिखा दिया है. अगर 1949 में मूर्तियों को नहीं रखा गया होता और तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने ताले नहीं खुलवाए होते तो मस्जिद अभी भी होती. नरसिम्हा राव ने अपने कर्तव्यों का पालन किया होता तो मस्जिद अभी भी होती.